सौरमंडल के कोने में साइंटिस्ट को मिले कुछ पिंड, चौंकाने वाली हैं उनकी दूरी, मानी जाएगी बहुत बड़ी खोज
क्या हमारे साइटिस्ट्स और एस्ट्रोनॉमर्स हमारे सौरमंडल के बारे में सब कुछ जानते हैं? कुछ लोग दलील देते हैं अरबों खरबों प्रकाशवर्ष दूरी पर मौजूद तारों के बारे में अगर उन्हें पता चल सकता है तो फिर उस लिहाज से सौरमंडल का छोर तो हमारे बहुत ही पास है. ऐसे में इस सवाल का जवाब हां ही होना चाहिए. लेकिन असल में ऐसा नहीं है. सच तो यह है कि सौरमंडल का बहुत सा हिस्सा हमारे वैज्ञानिकों को लिए एक पहेली ही है. इसकी एक और मिसाल हाल ही में देखने को मिली जब हमारे वैज्ञानिकों को सौरमंडल के किनारे पर ऐसे पिंड देखने को मिले, जिन्हें देख कर लगता है कि उन्होंने शायद एक और काइपर बेल्ट या घेरे की खोज कर ली है.
नेपच्यून के पास मौजूद काइपर बेल्ट एक ठंडा, वलय के आकार का इलाका है जो कई बर्फीले पिंडों से भरा हुआ है. यहां प्लूटो मिलता है, जो कभी एक पूरा ग्रह माना जाता था. यहां इसी तरह यहां “अरोकोथ” और कई अन्य पिंड भी हैं. हाल ही में खगोलविदों ने काइपर बेल्ट ऑब्जेक्ट्स (KBO) के रूप में जाने जाने वाले, इन पिंडों की संख्या में वृद्धि देखी है.
ये नए खोजे गए पिंड सूर्य से 70 से 90 खगोल इकाइयों (एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट) के बीच हैं. एक खगोलीय इकाई पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी है. लेकिन यह खोज कुछ हट कर है क्योंकि ये पिंड KBO की आंतरिक आबादी से बहुत दूर हैं. यह अंतर इतना बड़ा है कि विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यावहारिक रूप से अपने आप में एक पूरी तरह से नई काइपर बेल्ट जैसा लगता है.
जापान में यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्यूपेशनल एंड एनवायर्नमेंटल हेल्थ साइंसेज और चिबा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के ग्रह वैज्ञानिक फूमी योशिदा कहते हैं, “अगर इसकी पुष्टि हो जाती है, तो यह एक बड़ी खोज होगी.”
काइपर बेल्ट में मौजूद वस्तुओं और नए खोजे गए पिंडों के बीच की दूरी को समझने के लिए, ध्यान दें कि बेल्ट स्वयं नेपच्यून की कक्षा से लेकर सूर्य से लगभग 30 खगोलीय इकाइयों से लेकर सूर्य से लगभग 50 खगोलीय इकाइयों तक फैली हुई है. आश्चर्यजनक रूप से, इनमें से कम से कम 11 नए केबीओ उस क्षेत्र से बहुत दूर स्थित हैं, जहां बेल्ट के खत्म होने के बारे में सोचा गया था.