हिमालय की गोद में बसा है महादेव का तुंगनाथ मंदिर, सितंबर-अक्टूबर के मौसम में बनाएं दर्शन का प्लान

देवभूमि उत्तराखंड (Uttarakhand) के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple) दुनिया का सबसे ऊंचा शिवालय (Highest Shiva Temple In The World) है। हिंदुओं की आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ यह जगह पर्यटन के लिहाज से भी बेहद खास है। यहां से आप हिमालय की मनमोहक वादियां देख सकते हैं और शांत वातावरण में प्रकृति को करीब से महसूस भी कर सकते हैं।

माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था। एक कथा के मुताबिक, महाभारत के युद्ध में हुए नरसंहार के बाद, पांडव ने अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए हिमालय की यात्रा पर निकले थे और इस दौरान उन्होंने तुंगनाथ में भगवान शिव की तपस्या करके यहां शिवलिंग की स्थापना की।

बता दें, पंच केदार (Panch Kedar) में से एक तुंगनाथ पहुंचने के लिए आपको दुर्गम रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। आमतौर पर, सितंबर और अक्टूबर के महीने में यहां मौसम का मिजाज बेहतर रहता है, ऐसे में आइए इस आर्टिकल में आपको तुंगनाथ महादेव की ट्रिप से जुड़ी हर एक डिटेल के बारे में विस्तार से बताते हैं।

तुंगनाथ मंदिर का इतिहास (Tungnath Temple History)

एक कथा के मुताबिक, तुंगनाथ मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था। इस पवित्र मंदिर की नींव पांडवों के पराक्रमी योद्धा अर्जुन ने रखी थी। मान्यता है कि हजारों वर्ष पूर्व, पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया था। महाभारत के भीषण युद्ध में अपने स्वजनों को खोने के पश्चात, पांडवों पर मानव हत्या का बोझ था। ऋषि व्यास के निर्देशानुसार, पांडवों ने अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव की आराधना की और इस पवित्र स्थल पर भव्य मंदिर का निर्माण किया। मान्यता है कि भगवान शिव की कृपा से पांडवों के सभी पाप धुल गए थे।

कैसे पहुंचें तुंगनाथ मंदिर? (How to Reach Tungnath Temple)

तुंगनाथ मंदिर पहुंचने के लिए कई मार्ग हैं। आप हवाई मार्ग, रेल मार्ग या फिर सड़क मार्ग से भी यहां का सफर तय कर सकते हैं।

हवाई मार्ग

तुंगनाथ पहुंचने के लिए हवाई मार्ग सबसे सुविधाजनक है। बता दें, कि देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा तुंगनाथ का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। हवाई अड्डे से, आपको चोपता के पास स्थित पैंगर गांव तक पहुंचना होगा। यह सफर लगभग 220 किलोमीटर का होगा और इसे पूरा करने में आपको लगभग 9 घंटे का समय लगेगा।

ट्रेन का सफर

अगर आप ट्रेन से सफर करना चाहते हैं, तो आप देहरादून, हरिद्वार या ऋषिकेश जा सकते हैं। ये सभी तुंगनाथ के नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं। इन स्टेशनों से आप बस या टैक्सी से चोपता पहुंच सकते हैं।

बाय रोड

अगर आप अपनी कार से ट्रैवल कर रहे हैं, तो आपको दिल्ली से देहरादून या हरिद्वार होते हुए पैंगर गांव पहुंचना होगा। पैंगर से आप चोपता के लिए स्थानीय परिवहन का उपयोग कर सकते हैं। बता दें, ऋषिकेश से तुंगनाथ की दूरी लगभग 209 किलोमीटर है।

तुंगनाथ मंदिर आरती और दर्शन का समय (Tungnath Temple Aarti & Darshan Timings)

तुंगनाथ मंदिर में आरती का कोई निश्चित समय नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि मंदिर बहुत ऊंचाई पर है और यहां मौसम अचानक बदल सकता है। इसके अलावा, यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी मौसम और दिन के समय के मुताबिक बदलती रहती है।

सुबह की आरती

अगर आप सुबह की आरती देखना चाहते हैं, तो मंदिर खुलने के समय के कुछ देर बाद पहुंच जाएं। आमतौर पर, मंदिर सुबह 5:00 बजे से 6:00 बजे के बीच खुलता है।

शाम की आरती

शाम की आरती मंदिर बंद होने के समय से कुछ देर पहले होती है। आप मंदिर के पुजारी से इस बारे में पूछकर सही समय जान सकते हैं।

कब बनाएं तुंगनाथ मंदिर का प्लान? (Best Time To Visit Tungnath)

आप तुंगनाथ मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो सबसे अच्छा समय मई से जून और सितंबर से अक्टूबर के बीच होता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और आप आसानी से ट्रैकिंग कर सकते हैं। नवंबर में देवताओं के विदा होने के साथ ही मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं साथ ही, हिमालय में भारी बर्फबारी होने के कारण भी यहां पहुंचना मुश्किल हो जाता है, इसलिए मंदिर बंद हो जाता है।

इन बातों का रखें ध्यान (Important Tips: Tungnath Trek)

चोपता से तुंगनाथ तक रुकने के लिए कोई खास जगह नहीं है, इसलिए आपको पूरी तरह से तैयार रहना होगा। पर्याप्त पानी, अच्छे ट्रैकिंग शूज, गर्म कपड़े, रेनकोट और एक छोटी सी मेडिकल किट जरूर अपने साथ ले जाएं।

रास्ते दुर्गम होने के कारण एनर्जी भी डाउन हो सकती है, इसलिए चॉकलेट, बिस्कुट, मेवा और ग्लूकोज जैसी कुछ जरूरी चीजें अपने साथ रखें।

बर्फबारी में चलने के लिए एक छड़ी और वाटरप्रूफ ट्रैकिंग शूज भी आपके बहुत काम आएंगे।

चोपता में आपको ठहरने के लिए कई ऑप्शन मिल जाएंगे।

रास्ते में कोई चार्जिंग पॉइंट या एटीएम नहीं है, इसलिए पर्याप्त कैश और पावर बैंक भी साथ रखें।

चोपता से मंदिर जाने वाले रास्ते पर रात में ट्रैकिंग बिल्कुल न करें।

ट्रैकिंग के दौरान आपको अपना सामान हल्का रखना चाहिए और इस दौरान अपने चलने की स्पीड पर भी ध्यान दें यानी इतना तेज भी न चलें कि अपने शरीर को जल्द ही थका दें।

मौसम और रास्ते के बारे में इंटरनेट के भरोसे न रहें, क्योंकि यह कई बार लोगों को गुमराह भी कर देता है। ऐसे में, बेहतर है कि आप स्थानीय लोगों की मदद लें।

तुंगनाथ मंदिर जाने के लिए अकेले की बजाय ग्रुप में टैवल करेंगे, तो सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से ज्यादा बेहतर होगा।

गनाथ मंदिर के आस-पास घूमने की जगहें (Places to Visit Near Tungnath Temple)

चंद्रशिला (Chandrashila)

तुंगनाथ मंदिर से थोड़ी ही दूर चंद्रशिला स्थित है। यह एक पहाड़ी चोटी है, जिससे हिमालय की शानदार वादियां दिखाई देती हैं। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा काफी खास होता है।

चोपता (Chopta)

चोपता एक छोटा-सा हिल स्टेशन है, जो तुंगनाथ के नजदीक ही स्थित है। यह घने जंगलों, खूबसूरत घास के मैदानों और हिमालय की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। चोपता में आप ट्रेकिंग, कैम्पिंग और कई एडवेंचर एक्टिविटीज कर सकते हैं।

देवहरिया ताल (Deoria Taal)

तुंगनाथ के पास देवहरिया ताल नामक एक छोटी-सी झील है। यह झील अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है। यहां आप शांति और एकांत का मजा ले सकते हैं।

रुद्रप्रयाग (Rudraprayag)

रुद्रप्रयाग एक छोटा सा शहर है, जो तुंगनाथ से कुछ ही दूरी पर स्थित है। मंदाकिनी और अलकनंदा नदियों के संगम पर स्थित यह शहर भी आपको अपने खूबसूरती का दीवाना बना देगा। यहां आप मंदिरों, घाटों और अन्य धार्मिक स्थलों को देख सकते हैं।

इसके अलावा तुंगनाथ के आसपास कई छोटे-छोटे कुंड खूबसूरत झरने भी मौजूद हैं, जो धार्मिक महत्व रखने के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों को भी अपनी ओर आकर्षित करते है। जाहिर है, तुंगनाथ की ट्रैकिंग एक शानदार एक्सपीरिएंस रहेगा, लेकिन चूंकि यह एक ऊंचाई वाली जगह है। ऐसे में, अगर आपको सांस लेने में दिक्कत होती है तो इस ट्रिप को प्लान करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

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