शेयर मार्केट में हाहाकार, निवेशकों के 4.12 लाख करोड़ स्वाहा

भारतीय शेयर मार्केट में सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन भारी गिरावट देखने को मिली। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी 1 फीसदी तक गिर गए थे। इससे निवेशकों की करीब 4.12 लाख करोड़ की पूंजी स्वाहा हो गई। सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से SBI, HCL टेक्नोलॉजीज, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अदाणी पोर्ट्स, लार्सन एंड टुब्रो और महिंद्रा एंड महिंद्रा में ज्यादा गिरावट दिखी। वहीं, बजाज फाइनेंस, एशियन पेंट्स और हिंदुस्तान यूनिलीवर हरे निशान में थे।

शेयर मार्केट में गिरावट की वजह

दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी अर्थव्यवस्था अमेरिका काफी वक्त से मंदी की आशंका से जूझ रही है। गुरुवार को भी वहां जॉब से जुड़े डेटा काफी कमजोर आए। साथ ही, यूएस नॉन-फर्म पेरोल्स डेटा को लेकर भी अमेरिकी निवेशक काफी सतर्क हैं। इससे ओवरऑल सेंटिमेंट काफी कमजोर है। अमेरिकी शेयर मार्केट में पिछले कुछ सत्रों से गिरावट देखी जा रही है।

इन फैक्टर का असर दुनियाभर के बाजारों पर पड़ा और उनमें भी गिरावट आई। इनमें भारत के अलावा चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और हांगकांग जैसे एशियाई बाजार भी शामिल हैं।

मुनाफावसूली भी है एक कारण

बैंकों की घटती डिपॉजिट ग्रोथ भी भारतीय निवेशकों की चिंता बढ़ने की बड़ी वजह है। इससे फाइनेंस सेक्टर के हैवीवेट शेयरों में गिरावट देखने को मिली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया डेटा से पता चलता है कि जून तिमाही में डिपॉजिट ग्रोथ 11.7 फीसदी रही, वहीं लोन ग्रोथ 15 फीसदी रही। इससे निवेशकों को डर है कि बैंकिंग सेक्टर का मुनाफा प्रभावित हो सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी बैंकों की घटती ग्रोथ पर चिंता जता चुकी हैं।

भारत शेयर मार्केट अपने ऑलटाइम हाई लेवल के आसपास है। ऐसे में निवेशक मुनाफावसूली पर भी जोर देर रहे हैं। आज सप्ताह का आखिरी कारोबारी दिन होने से मुनाफावसूली में तेजी आई है।

शेयर मार्केट में गिरावट की प्रमुख वजहें:

यूएस फेड मीटिंग में ब्याज दरों में कटौती के बारे में अनिश्चितता है। यूएस फेड ब्याज में कटौती का संकेत दे चुका है। लेकिन, सवाल है कितनी कटौती। 25 बीपीएस कटौती से शेयर मार्केट खुश नहीं होगा। लेकिन, 50 बीपीएस या इससे अधिक की कटौती दुनियाभर के शेयर बाजारों में पंख लगा सकती है। इसलिए ज्यादातर निवेशक अभी बड़ा दांव लगाने से बच रहे हैं।

जुलाई में अमेरिका में नौकरी के अवसर साढ़े तीन साल के निचले स्तर पर आ गए हैं। इससे अमेरिकी श्रम बाजार में मंदी आ गई है। इसका असर दलाल स्ट्रीट समेत वैश्विक बाजारों पर भी पड़ रहा है। वॉरेन बफेट जैसे दिग्गज निवेशकों के कैश रिजर्व बढ़ाने से भी निवेशक चिंतित हैं।

अमेरिकी श्रम बाजार में मंदी के डर ने अमेरिकी मुद्रास्फीति की चिंता को फिर से बढ़ा दिया है। इससे अमेरिकी फेड ब्याज दरों में कटौती के अपने फैसले पर दोबारा विचार कर सकता है। अगर वह बड़ा दिल दिखाकर कटौती करेगा भी, तो वह ज्यादा बड़ी नहीं होगी।

भारत शेयर मार्केट में इस हफ्ते बुधवा को बिकवाली शुरू हुई। इससे पहले शेयर बाजार में लगातार 14 दिनों तक तेजी रही थी। ऐसे भारतीय स्टॉक मार्केट ओवरबॉट जोन में था। इसलिए मौजूदा बिकवाली को मुनाफावसूली के तौर पर भी देखा जा रहा है।

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