दिल्ली : अब नगर निगम की स्थायी समिति के लिए होगी भाजपा-आप में खींचतान
एमसीडी की वार्ड समितियों के चुनाव में भाजपा के बाजी मारने के कारण स्थायी समिति में सदस्यों की संख्या के मामले में स्थिति रोचक हो गई है। इस समिति में आप व भाजपा के सदस्यों की संख्या बराबर होगी। इस तरह समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच वार्ड समितियों के चुनाव से भी अधिक खींचतान देखने को मिल सकती है। एमसीडी की सबसे अधिक अधिकार वाली इस समिति पर कब्जा करने के लिए दोनों पार्टियां कोई कसर नहीं छोड़ेंगी।
वार्ड समितियों से भाजपा के सात पार्षद स्थायी समिति के सदस्य बन गए हैं, जबकि उसके दो पार्षद सदन से स्थायी समिति के सदस्य हैं। वहीं, एमसीडी में सत्तारूढ़ आप के पांच पार्षद वार्ड समितियों से स्थायी समिति के सदस्य चुने गए। सदन से उसके तीन पार्षद स्थायी समिति के सदस्य हैं। इसके अलावा सदन से चुने जाने वाले एक सदस्य का स्थान रिक्त है। इस सदस्य के होने वाले उपचुनाव में संख्या बल अधिक होने के कारण आप के पार्षद का चुना जाना तय माना जा रहा है। इस तरह समिति में दोनों पार्टियों के सदस्यों की संख्या नौ-नौ हो जाएगी। एमसीडी के इतिहास में स्थायी समिति में सदस्यों की संख्या के मामले में ऐसी स्थिति कभी भी नहीं हुई है।
जीत के लिए 10 वोट की आश्यकता
स्थायी समिति में 18 सदस्य होते है। लिहाजा, अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर जीत के लिए 10 वोट की आवश्यकता होगी, लेकिन दोनों पार्टियां इस आंकड़े से एक वोट दूर हैं। दोनों पदों के चुनाव में दोनों पार्टियों के पार्षदों को बराबर वोट मिलने की स्थिति में ड्राॅ के माध्यम से विजेता का फैसला होगा। इस तरह दोनों पार्टियों में से किसी के भी पार्षद की किस्मत खुल सकती है। इसके अलावा जोड़-तोड़ करने में कामयाब हो जाने वाली पार्टी आसानी से जीत सकती है। उधर, तीन वार्ड समितियों में आम आदमी पार्टी के पार्षदों के क्रॉस वोट करने के मद्देनजर स्थायी समिति के चुनाव में आप की राह आसान नहीं मानी जा रही है।