85 दिनों में ढाई लाख करोड़ के इन्फ्रा प्रोजेक्टों को मंजूरी
कृषि के विकास और किसानों के कल्याण के साथ ही हाईवे, मेट्रो, पोर्ट, एयरपोर्ट, पर्यावरण, गरीबों और मध्य वर्ग के लिए घर, शोध और अनुसंधान यानी दैनिक जीवन को प्रभावित करने वाले लगभग हर क्षेत्र में अहम फैसलों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साझा सरकार होने के बावजूद तीसरी पारी की वैसी ही शुरुआत की है, जैसा उन्होंने वादा किया था।
सोमवार को किसानों के लिए लगभग 14000 करोड़ की सात योजनाओं के एलान के साथ केंद्र सरकार ने विकास के साथ राजनीतिक संदेश देने का सिलसिला भी जारी रखा। नौ जून को शपथ लेने के बाद से अब तक 85 दिनों के भीतर मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ढाई लाख करोड़ से अधिक की परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
विकास पर फोकस के साथ ही शुरुआती सौ दिनों में ही सरकार ने कर्मचारियों के लिए नई एकीकृत पेंशन योजना लाकर विपक्षी दलों और विशेष रूप से कांग्रेस से एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी छीन लिया। इस पेंशन योजना से 23 लाख केंद्रीय कर्मियों को लाभ होगा। मोदी सरकार की तीसरी पारी के पहले सौ दिनों की एक और विशेषता तथा राजनीतिक मोर्चे पर सक्रियता एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर के संदर्भ में यह निर्णय लेने की रही कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद इस व्यवस्था को लागू नहीं किया जाएगा।
मोदी सरकार की रफ्तार तेज क्यों?
आम चुनाव से पहले ही प्रधानमंत्री ने कहा था कि चार जून को नतीजे आने के बाद अफसरों के लिए इतना काम आने वाला है कि उन्हें जरा भी फुर्सत नहीं मिलेगी। पहले सौ दिनों में ही सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई धार देने के साथ ही न्यू इकोनमी से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले ले चुकी है। पिछले एक सप्ताह में तीसरी बार कैबिनेट की बैठक और इसी अवधि में पूरी मंत्रिपरिषद के साथ चर्चा तेज रफ्तार काम की बानगी है। नवीनतम एलान गुजरात में एक और सेमीकंडक्टर यूनिट की स्थापना का है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि काम करने की तेज रफ्तार बनी हुई है और यह बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं को मंजूरी देने के सिलसिले से प्रमाणित होती है। सरकार गठन के बाद लगभग तीन महीने में कैबिनेट की 15 बैठकें हो चुकी हैं। सरकार ने तीसरी पारी की शुरुआत प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरों और गांवों में तीन करोड़ नए घर बनाने के एलान से की थी। इसके तहत केवल गांवों में अगले पांच सालों में दो करोड़ घर बनाए जाने हैं, जिन पर 2.30 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। बाकी एक करोड़ घर शहरों में बनेंगे।
किसानों को भी एमएसपी का फायदा
किसानों के लिए एमएसपी वाली सभी फसलों पर सौ रुपये से लेकर 550 रुपये तक की बढ़ोतरी की गई है। हाईवे और एक्सप्रेस वे निर्माण के साथ तेज रफ्तार विकास के अपने एजेंडे को जारी रखते हुए पहले सौ दिनों ही 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के आठ कारिडोर को मंजूरी दी गई है, जिनमें अयोध्या में एक बाईपास और कानपुर में रिंग रोड भी शामिल है।
शुरुआती सौ दिनों ही वाराणसी एयरपोर्ट के विकास पर 2869 करोड़ रुपये खर्च करने को भी मंजूरी दी गई है। मेट्रो की कई अहम परियोजनाओं को सरकार की अनुमति मिली है, जिनमें बेंगलुरु में दो नए कारिडोर, थाणे में इंटीग्रल मेट्रो रेल और पुणे में मेट्रो परियोजना का विस्तार शामिल है। इन पर तीस हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होंगे।