बिहार: आन्ध्र प्रदेश में बिहार के युवक की हत्या, कुएं में मिली लाश

मुजफ्फरपुर के एक युवक की लाश तीन महीना पहले आंध्र प्रदेश में एक कुएं से मिली। सूचना मिलने पर परिजन आन्ध्र प्रदेश पहुंचे और वहां स्थानीय थाना में आरोपियों को नामजद करते हुए मामला दर्ज कराने की अपील की, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। काफी दौड़ने के बाद परिजन वापस बिहार आ गये और फिर यहां से जीरो एफआईआर दर्ज करने के लिए थाना में गुहार लगाई, लेकिन बिहार पुलिस की संवेदनहीनता देखिये, पुलिस ने यह कहकर मामले को टाल दिया कि घटना आन्ध्र प्रदेश की है, इसलिए एफआईआर भी वहीं होना चाहिए। तीन महीने के मैराथन दौड़ के बाद पीड़ित परिजनों ने कोर्ट में मामला दर्ज कराया है। पूरी कहानी पानापुर करियात थाना क्षेत्र के बलहा गांव निवासी रीता देवी के पुत्र उत्तम कुमार शर्मा की है, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।

रेस्टोरेंट और उसके कर्मी ने उत्तम के रखे थे सात लाख रुपये 
घटना के संबंध में परिजनों का कहना है कि उत्तम कुमार पिछले तीन वर्षों से आंध्र प्रदेश के काकीनाडा जिला के टुनी टाउन थाना क्षेत्र के अंतर्गत फूड एंड फैमिली रेस्टोरेंट में काम करता था। पारिश्रमिक का कुल ₹5 लाख रुपया रेस्टोरेंट के मालिक रमेश अन्ना के पास बकाया था, जिसको रेस्टोरेंट का मालिक उसे नहीं दे रहा था। बाद में यह भी बात सामने आई कि उस रेस्टोरेंट में काम करने वाला एक कर्मचारी राजू कैप्टन ने भी उत्तम कुमार शर्मा से ₹2 लाख रुपया कर्ज के तौर पर लिया था।

लापता होने के दस दिन बाद फूड एंड फैमिली रेस्टोरेंट के पास कुएं से मिली लाश
10 जून 2024 को उत्तम कुमार शर्मा को अपने घर वापस आना था, लेकिन 9 जून 2024 की रात्रि के 8 बजे से ही वह रहस्यमय ढंग से गायब हो गया। परिजनों ने इसकी  सूचना टुनी टाउन थाना की पुलिस को दी लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। लापता होने के दस दिन बाद 26 जून 2024 को उसी रेस्टोरेंट के पीछे स्थित कुएं से उत्तम कुमार शर्मा का शव बरामद हुआ।

आन्ध्र प्रदेश की पुलिस ने नहीं किया मामला दर्ज 
लाश मिलने पर आन्ध्र प्रदेश की पुलिस ने घटना की सूचना परिजनों को दी। परिजनॉन ने होटल मालिक और उसके कर्मचारी राजू कैप्टन को आरोपित करते हुए आवेदन दिया। लेकिन आन्ध्र प्रदेश की पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। परिजन प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए लगातार आंध्रप्रदेश की पुलिस के सामने गुहार लगाते रहे लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।

मुजफ्फरपुर पुलिस ने भी नहीं किया मामला दर्ज, जीरो एफआईआर पर दी अजब दलील 
थक-हारकर परिजन वापस अपने घर मुजफ्फरपुर लौट गये। अब परिजन जीरो एफआईआर के तहत मामला दर्ज कराने के लिए मुजफ्फरपुर के थाना में पहुंचे, लेकिन पुलिस तो पुलिस ही है, चाहे आन्ध्र प्रदेश की हो या बिहार की। परिजन जीरो एफआईआर दर्ज कराने के लिए मुजफ्फरपुर के पानापुर करियात थाना में गये लेकिन वहाँ पर भी जीरो एफआईआर दर्ज नहीं किया गया। पुलिस ने यह दलील देते हुए परिजनों को थाना से लौटा दिया कि घटना आन्ध्र प्रदेश की है तो प्राथमिकी वहीँ दर्ज होगी। कानून के परिवर्तन करने से पुलिस की व्यवहारिकता में परिवर्तन नहीं होता, बस कागजी कानून ही बदलते हैं। काफी गुहार लगाने के बाद भी मुजफ्फरपुर के पानापुर करियात थाना की पुलिस ने जीरो एफआईआर नहीं किया। अंत में थक-हारकर परिजन ने अधिवक्ता एस.के.झा के माध्यम से रमेश अन्ना और राजू कैप्टन के विरुद्ध मुजफ्फरपुर  कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया है, जिसकी सुनवाई 12 सितम्बर 2024 को होगी।

जानिए क्या है जीरो एफआईआर

जीरो एफआईआर एक प्रक्रियात्मक उपकरण है जो नागरिकों को अपराध की रिपोर्ट करने का अधिकार देता है, चाहे व्यक्ति कहीं भी रहता हो या अपराध कहीं भी हुआ हो। इसे 2013 में न्यायमूर्ति वर्मा समिति की सिफारिश पर पेश किया गया था। इसका उद्देश्य पीड़ितों की तुरंत सहायता करना और अपराधों की रिपोर्ट करने में अनावश्यक देरी से बचना है।

अब मामला पहुंचा न्यायलय में 
इस पूरे मामले पर मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह मामला हत्या का प्रतीत होता है। सही तरीके से अगर पुलिस इस पूरे ही मामले में अनुसंधान करे तो मामले का पर्दाफाश हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पानापुर करियात की पुलिस के द्वारा जीरो एफआईआर दर्ज नहीं किया जाना काफी दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण हैं। मुझे न्यायालय पर पूरा विश्वास है और पीड़ित परिवार को न्याय अवश्य मिलेगा।

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