हिमाचल की आर्थिक स्थिति और कर्नाटक में भ्रष्टाचार पर BJP का तीखा प्रहार

हिमाचल प्रदेश की कमजोर आर्थिक स्थिति को मुख्यमंत्री सुखविदर सिंह सुक्खू द्वारा ही उजागर किए जाने के बाद भाजपा ने कांग्रेस को आड़े हाथों ले लिया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने तंज कसा कि राहुल गांधी कहा करते थे कि लोगों के खाते में खटाखट पैसे आएंगे। खटाखट पैसे तो नहीं आए, लेकिन फटाफट दीवाला जरूर आ गया।

उन्होंने कहा कि सबके सामने आया है कि देश के नौ पहाड़ी राज्यों में सबसे अधिक आर्थिक बदहाली की स्थिति में हिमाचल है। इस समय प्रति व्यक्ति कर्ज में हिमाचल देश का दूसरा राज्य है। राज्य पर इस समय 87 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है, जो अगले वित्त वर्ष से पहले ही एक लाख करोड़ की सीमा पार कर जाएगा।

केंद्र सरकार ने यूपीएस लागू कर दी

राज्य का वार्षिक बजट 58444 करोड़ रुपये का है। उसमें सिर्फ वेतन, पेंशन और कर्ज चुकाने में प्रतिवर्ष 42079 करोड़ रुपये चले जाते हैं। इसी हिमाचल में पुरानी पेंशन योजना के मुद्दे पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा, लेकिन आज तक लागू करने की हिम्मत नहीं हुई, जबकि केंद्र सरकार ने यूपीएस लागू कर दी है।

प्रेम शुक्ल ने कहा कि यही दशा कर्नाटक की है। वहां परिवहन कर्मचारियों के खाते में वेतन नहीं पहुंचा तो उन्हें हड़ताल करनी पड़ी। दूध, पेट्रोल-डीजल और पानी का भाव सरकार ने बढ़ा दिया और सिद्दरमैया सरकार ने प्रीमियम शराब का भाव नीचे कर दिया।

खरगे के परिवार का जमीन घोटाला सामने आ गया

उन्होंने आरोप लगाया कि यह लूट की सरकार है। सीएम सिद्दरमैया का पूरा परिवार मूडा जमीन घोटाले के आरोपों के घेरे में है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार पहले से भ्रष्टाचार में घिरे हैं। अब मल्लिकार्जुन खरगे के परिवार का जमीन घोटाला सामने आ गया।

भाजपा प्रवक्ता ने दावा किया कि कर्नाटक सरकार ने हनुमान जी की जन्मस्थली कहे जाने वाले गंगावटी नगर में लैंपपोस्ट से श्रीराम और हनुमान जी के अंकित चिन्हों को हटाने का निर्देश दे दिया है। मुहब्बत के दुकानदारों को हिंदुओं के प्रतीक चिन्हों से नफरत क्यों है?

ममता बनर्जी बंगाल में जो कर रही हैं, वह सबके सामने

प्रश्न किया- आप हज हाउस बनाएंगे तो वह सेक्युलरिज्म की मीनार है? इसी तरह तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी को सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी करने के लिए फटकार पड़ी है। यह दिखाता है कि कांग्रेस के नेता संविधान की प्रति लहराते हैं, लेकिन संवैधानिक संस्थाओं का आदर नहीं करते। वहीं, आइएनडीआइए की सहयोगी ममता बनर्जी बंगाल में जो कर रही हैं, वह सबके सामने हैं।

Back to top button