फिल्म सूर्याज सैटर्डे में फिर दिखेगा साउथ एक्टर नानी का एक्शन
हिंदी में डब होकर प्रसारित होने वाली दक्षिण भारतीय फिल्मों से दक्षिण भारतीय कलाकारों ने हिंदी पट्टी में भी खूब लोकप्रियता पाई। नानी नाम से प्रख्यात तेलुगु अभिनेता घंटा नवीन बाबू की फिल्म जर्सी भी हिंदी में काफी पसंद की गई। जिसका बाद में अभिनेता शाहिद कपूर के साथ हिंदी रीमेक भी बनाया गया।
नानी की कोशिश अब देशव्यापी स्टारडम हासिल करने की है। इस क्रम में पिछले साल उनकी फिल्म दसरा पैन इंडिया स्तर पर प्रदर्शित हुई थी। आज (29 अगस्त) प्रदर्शित हो रही फिल्म सूर्याज सैटर्डे उनकी दूसरी पैन इंडिया फिल्म है। क्या इस फिल्म को पैन इंडिया स्तर पर प्रदर्शित करने की योजना निर्माण के दौरान ही थी या वर्तमान चलन के हिसाब से यह निर्णय लिया गया।
इस पर नानी बताते हैं, ‘पिछले कुछ वर्षों से मैं अपनी हर फिल्म देश की सभी प्रमुख भाषाओं में प्रदर्शित कर रहा हूं। किस फिल्म को कितने बड़े स्तर पर प्रदर्शित करना है यह फिल्म निर्माण तथा कहानी के स्तर और बजट के आधार पर तय होता है। अब मेरी योजना अपनी हर फिल्म पैन इंडिया स्तर पर प्रदर्शित करने की है।’
कहानी में सुलझेगी गुत्थी
फिल्म के शीर्षक सूर्याज सैटर्डे के अनुरूप इसमें शनिवार से जुड़ा एक दिलचस्प पहलू है। दरअसल, फिल्म का नायक सूर्या सिर्फ शनिवार को लोगों को मारता है? पर ऐसा क्यों? इस पर नानी कहते हैं, ‘इसी उत्सुकता और सवाल के कारण ही तो लोग यह फिल्म देखेंगे। अब यह तो फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा कि फिल्म की कहानी क्या है और इसका हीरो सिर्फ शनिवार को ही क्यों लड़ता है। जब मैंने इस फिल्म की कहानी सुनी तो मुझे वह बात बहुत पसंद आई। उम्मीद है कि फिल्म देखने के बाद दर्शकों को भी यह बात पसंद आएगी।’
गुरुवार को नहीं कटवाते बाल
जैसे आम लोग कुछ परंपराओं या मान्यताओं के कारण शनिवार और गुरुवार को बाल तथा नाखून नहीं कटवाते हैं। उसी तरह नानी भी अपनी परंपराओं का पालन करते हुए ऐसी कुछ चीजों का परहेज करते हैं। वह बताते है, ‘मैं दिन के हिसाब से ज्यादा चीजों का परहेज तो नहीं करता हूं, लेकिन मंगलवार को बाल नहीं कटवाता हूं। हमारी बचपन से ही यह मान्यता रही है कि मंगलवार को बाल नहीं कटवाना चाहिए।’
बड़ी योजना
पिछले साल पैन इंडिया स्तर पर प्रदर्शित दसरा हिंदी पट्टी में उम्मीदों के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाई थी। हालांकि, नानी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, उनकी बड़ी योजना है। वह बताते हैं, ‘अगर हिंदी में दसरा की परफार्मेंस की तुलना हम बाहुबली, केजीएफ या पुष्पा जैसी फिल्मों से करेंगे, तो निश्चित तो पर वह फिल्म बहुत पीछे थी।
हालांकि, हमने उस फिल्म को पैन इंडिया स्तर पर इसलिए प्रदर्शित किया था, क्योंकि हम इस स्तर पर भी एक अच्छी शुरुआत चाहते थे। जो हमें मिल गई। अपनी हर फिल्म से हम और ज्यादा दर्शक बनाएंगे फिर जब बाहुबली जैसी कोई भव्य फिल्म करेंगे, तो वहां आपको इसका परिणाम दिखेगा।’
हिंदी की जल्दी नहीं
वर्तमान में जूनियर एनटीआर, पृथ्वीराज सुकुमारन और यश समेत कई दक्षिण भारतीय अभिनेता हिंदी सिनेमा में भी काम कर रहे हैं। ऐसे में हिंदी सिनेमा से मिल रहे प्रस्तावों पर नानी कहते हैं, ‘हां, ऑफर तो आते हैं। मैंने कुछ फिल्मों की कहानियां भी सुनी।
हालांकि, उनमें मुझे कोई इतनी अच्छी नहीं लगी, जिसके लिए मैं अपनी तेलुगु फिल्मों का काम रोककर जाऊं। अगर हिंदी फिल्मों से भी कोई अच्छा रोल या फिल्म मिले, तो मैं जरूर करूंगा। हालांकि मैंने पहले से ये ही यह नहीं तय किया है कि मुझे सिर्फ इसी तरह की हिंदी फिल्म करनी है।’
तब बन जाते हैं असिस्टेंट निर्देशक
अभिनेता बनने से पहले नानी निर्देशन में अपना करियर बनाने आए थे। अब निर्देशन को लेकर उनका कहना है, ‘मेरे अंदर का निर्देशक अब नहीं बचा है, (हंसते हुए) लेकिन असिस्टेंट डायरेक्टर है। एक्टिंग में मुझे लोगों से बहुत सारा प्यार और सफलता मिली। अब जिस फिल्म में बतौर अभिनेता काम करता हूं, उसी सेट पर निर्देशक का असिस्टेंट बन जाता हूं। अब निर्देशन में कोई दिलचस्पी नहीं है।’