पंजाब में आज तक नहीं बने गरीबों के कटे नीले कार्ड
वातानुकूलित कमरों में बैठकर किस प्रकार से कुछ बड़े प्रशासनिक अधिकारी गलत नीतियां तैयार करते हैं, इसका सबूत जिला प्रशासन की तरफ से अवैध तरीके से बनाए गए नीले कार्डों का काटा जाना रहा है। पिछले वर्ष जब चुनावी सीजन चल रहा था और चुनाव होने थे ठीक उसी समय प्रशासन ने कुल 36 हजार के लगभग उन लोगों के नीले कार्ड काट दिए जिनके बारे में डी.सी. व पुलिस कमिशनर दफ्तर की असला ब्रांच, परिवहन विभाग, इनकम टैक्स विभाग व बिजली बोर्ड की तरफ से डॉटा दिया था लेकिन ग्राऊंड रिपोर्ट के अनुसार अमीरों के साथ-साथ प्रशासन ने लगभग 25 हजार गरीब लोगों के भी नीले कार्ड काट दिए जो आज भी अपने कार्ड रिन्यू करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के धक्के खा रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
इन लोगों के पास ना तो कोई लाइसैंसी असला था, ना तो कोई लगजरी गाड़ी, ना इनकम टैक्स विभाग को टैक्स अदा करते थे और ना ही इनका बिजली का बिल एक हजार यूनिट से ज्यादा आता था फिर भी इन लोगों के कार्ड काट दिए गए। इन हालात में गरीब व जरूरतमंद लोग कभी डी.सी. दफ्तर, कभी सेवा केन्द्र तो कभी फूड सप्लाई विभाग के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
नीले कार्ड काटने के लिए प्रशासन की योजना
नीले कार्ड काटने के लिए प्रशासन की योजना थी कि जिन लोगों के पास लाइसैंसी असला है वह गरीब नहीं हो सकता, जिसके पास लग्जरी गाड़ी है, वह गरीब नहीं है, जिसका बिजली का बिल एक हजार रुपए से ज्यादा आता है, वह भी गरीब नहीं है जो व्यक्ति इनकम टैक्स विभाग को टैक्स अदा करता है वह भी गरीब नहीं है या फिर जो व्यक्ति पांच लाख के लगभग टैक्स अदा करता है वह भी गरीबी रेखा के नीचे नहीं आता है इसलिए ऐसे लोगों के कार्ड काट दिए जाने चाहिए।
नए नीले कार्ड बनाने का कार्य अभी बंद
जिन गरीब लोगों के नीले कार्ड कट चुके हैं उनके लिए एक बड़ी मुसीबत यह भी बनी हुई है कि जिला प्रशासन की तरफ से पिछले कई महीनों से नए नीले कार्ड बनाने का काम बंद किया गया है जिसके चलते गरीब व जरूरतमंद लोग अब अपना नया नीला कार्ड भी नहीं बना सकते हैं। जिन गरीब लोगों के कार्ड कटे हैं उनमें से ज्यादातर दिहाड़ीदार, बैटरी ऑटो व रिक्शा चलाने वाले शामिल हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
आज भी लग्जरी गाड़ियों में गरीबों का गेहूं लेने आ रहे अमीर
केन्द्र व राज्य सरकार की तरफ से कभी फ्री में गेहूं दिया जा रहा है तो कभी दो रुपए किलो के हिसाब से गेहूं बांटा जा रहा है। इसमें गरीब कल्याण योजना व अन्य योजनाएं शामिल हैं लेकिन अभी भी 55 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के गलत तरीके से गलत जानकारी देकर नीले कार्ड बने हुए हैं आज भी अमीर लोग लग्जरी गाड़ियों में फ्री वाला गेहूं लेने के लिए राशन डिपुओं पर आते हैं जिन पर कार्रवाई होनी जरूरी है।
अब के.वाई.सी. के कारण कटने लगे कार्ड
गरीब लोगों के लिए अब एक और नई मुसीबत खड़ी हो गई है सरकार की तरफ से सभी नीले कार्ड धारकों के परिवारों के सदस्यों की के.वाई.सी. करवाई जा रही है जिसके लिए डिपुओं पर आकर अपना आधार कार्ड नंबर व अंगूठा लगाना पड़ता है जिस सदस्य का अंगूठा नहीं लगता है उसका कार्ड में नाम कट जाता है और राशन नहीं मिलता है ऐसे में जो लोग किसी दूसरे जिले या किसी दूसरे राज्य में काम करते हैं उनके लिए के.वाई.सी. एक मुसीबत बन चुकी है कुछ लोग तो बकायदा अपने दफ्तर से छुट्टी लेकर अपनी के.वाई.सी. करवाने के लिए गृह जिलों में जा रहे हैं।
चुनावों में हुआ भारी नुकसान
लोक सभा चुनावों में जिस प्रकार से आम आदमी पार्टी को पंजाब में सीटें लेने की उम्मीद थी वह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी और लोस चुनावों में भारी हार का सामना करना पड़ा। यह माना जा रहा है कि गरीबों के नीले कार्ड काटना इस हार में बड़ा कारण रहा है इसलिए मौजूदा हालात में सभी विधायक नीले कार्ड बनाने संबंधी प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक में मुख्य मुद्दा रख रहे हैं लेकिन नए सिरे से कार्ड नहीं बन रहे हैं।