राजस्थान हाईकोर्ट के अस्तिव से हमारे राष्ट्र की एकता का इतिहास जुड़ा है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य आतिथ्य में राजस्थान हाईकोर्ट का प्लेटिनम जुबली समापन समारोह आयोजित हुआ । पीएम मोदी ने हाईकोर्ट संग्रहालय का वर्चुअल उद्घाटन किया । इस दौरान पीएम मोदी के साथ  राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े, सीएम भजनलाल शर्मा, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी मौजूद मौजूद रहे । हालांकि आज के इस समारोह में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ शामिल नहीं हुए । जानकारी के मुताबिक उनकी तबीयत खराब बताई जा रही है, इस कारण कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। बता दें कि इससे पहले पीएम मोदी विशेष विमान से जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पहुंचे। यहां पीएम मोदी का मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा ने स्वागत किया। लिहाजा पीएम मोदी के दौरे के चलते जोधपुर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं । ऐसे में जोधपुर रेंज के अलावा आसपास के जिलों से भी पुलिस का जाब्ता बुलवाया गया । 

पीएम मोदी ने समय से नहीं पहुंचने पर मांगी क्षमा 

राजस्थान हाईकोर्ट का प्लेटिनम जुबली समापन समारोह में पीएम मोदी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की । समापन समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने समय से नहीं पहुचने पर क्षमा मांगी । उन्होंने कहा कि आज राजस्थान हाईकोर्ट के प्लेटिनम जुबली समारोह में आप सबके बीच आने का मुझे अवसर मिला है, राजस्थान हाईकोर्ट के 75 वर्ष ऐसे समय में हुए हैं, जब हमारा संविधान भी 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है । इसलिए ये अनेक महान लोगों की न्याय निष्ठा है । और योगदान को सेलिब्रेट करने का उत्सव भी है, ये संविधान के प्रति हमारी आस्था का उदाहरण भी है । मैं आप सभी न्यायविदों को,  राजस्थान के लोगों को इस अवसर पर बधाई और शुभकामनाएं देता हूं । 

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 500 से ज्यादा रियासतों को जोड़कर देश को एक सूत्र में पिरोया- पीएम 
उन्होंने कहा कि साथियों राजस्थान हाईकोर्ट के अस्तिव से हमारे राष्ट्र की एकता का इतिहास भी जुड़ा है, आप सब जानते है, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जब 500 से ज्यादा रियासतों को जोड़कर देश को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया था, उसमें राजस्थान की भी कई रियासतें शामिल थी । जयपुर, उदयपुर और कोटा जैसी कई रियासतों के अपने हाईकोर्ट भी थे । इनके इंटिग्रेशन से राजस्थान हाईकोर्ट अस्तिव में आया, यानी राष्ट्रीय एकता ये हमारे ज्यूशियल सिस्टम का भी फाउंडेशन स्टोन है, फाउंडिंग स्टोन जितना मजबूत होगा । हमारा देश और देश की व्यवस्थाएं भी उतनी ही मजबूत होगी । मेरा मानना है न्याय हमेशा सरल और स्पष्ट होता है, लेकिन कई बार प्रक्रियाएं उसे मुश्किल बना देती है । ये हम सबकी जिम्मेदारी है कि न्याय को ज्यादा से ज्यादा स्पष्ट और सरल बनाए ।  और मुझे संतोष है कि देश ने इस दिशा में कई ऐतिहासिक और निर्णायक कदम उठाएं हैं । हमने पूरी तरह से अप्रासंगिक हो चुके सैकड़ों कॉलोनियल कानूनों को रद्द किया है।

गुलामी की मानसिकता से उभरते हुए देश ने इंडियन पेनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता को अपनाया- पीएम मोदी 
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के इतने दशक बाद गुलामी की मानसिकता से उभरते हुए देश ने इंडियन पेनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता को अपनाया है । दंड की जगह न्याय ये भारतीय चिंतन का आधार भी है । भारतीय न्याय संहिता इस मानवीय चिंतन को आगे बढ़ाती है । भारतीय न्याय संहिता हमारे लोकतंत्र को कॉलोनियल माइंडसेट से आजाद कराती है, न्याय संहिता की ये मूल भावना ज्यादा से ज्यादा प्रभावी बने, ये दायित्व अब हम सभी के सामने है, बीते एक दशक में हमारा देश तेजी से बदला है । कभी हम दस साल पहले दसवें पायदान से ऊपर उठकर दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थ व्यवस्था बन गया है । आज देश के सपने भी बड़े है, देशवासियों की आकांक्षाए भी बड़ी है, इसलिए जरूरी है कि हम नए भारत के हिसाब से नए इनोवेशन करे और अपनी व्यवस्थाओं को आधुनिक बनाए । ये जस्टिस फॉर ऑल इसके लिए भी उतना ही जरूरी है, हम देख रहे है कि आज टेक्नोलॉजी हमारे ज्यूडिशियल सिस्टम में इतना अहम रोल निभा रही है । आईटी रिवोल्यूशन कितना बड़ा बदलाव हो सकता है, हमारा ई कोर्ट्स प्रोजेक्ट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है । आज देश में 18 हजार से ज्यादा कोर्ट्स कंप्यूटराइज हो चुके है । मुझे बताया गया है कि नेशनल ज्यूडिशियल डेटाग्रिड से 26 करोड़ से ज्यादा मुकदमों की जानकारी एक सेट्रलाइज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जुड़ चुकी है । आज पूरे देश की तीन हजार से ज्यादा कोर्ट्स कॉम्पलेसिस और 1200 से ज्यादा जेलें वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़ चुकी है । औऱ मुझे खुशी है कि राजस्थान भी इस दिशा में काफी तेज गति से काम कर रहा है, यहां सैकड़ों अदालतें कंप्यूटराइज हो चुकी है । पेपरलेस कोर्ट्स, ई फाइलिंग, समन के लिए इलेक्ट्रॉनिक सर्विस, वर्चुअल हियरिंग की व्यवस्था, ये कोई सामान्य बदलाव नहीं है । हम एक सामान्य नागरिक की दृष्टिकोण से सोचे तो दशकों से यहां कोर्ट के आगे चक्कर शब्द (कोई बुरा मत मानना) मेनडेट्री हो गया था । कोर्ट का चक्कर, मुकदमे का चक्कर यानी कि एक ऐसा चक्कर जिसमें फंस गये तो कब निकलेंगे कुछ पता नहीं ? , आज दशकों बाद उस सामान्य नागरिक की पीड़ा को खत्म करने, उस चक्कर को खत्म करने के लिए देश ने प्रभावी कदम उठाए है, इससे न्याय को लेकर नई उम्मीद जगी है । इस उम्मीद को हमें बनाए रखना है । लगातार अपनी न्यायिक व्यवस्था में रिफॉर्म करते चलना है । 

हमारी न्याय पालिका ने निरंतर राष्ट्रीय विषयों पर सजगता और सक्रियता की नैतिक जिम्मेदारी निभाई- पीएम मोदी 
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते कई कार्यक्रमों में आप सबके बीच मैंने लगातार मीडिएशन की सदियों पुरानी हमारी व्यवस्था का जिक्र किया है । आज देश में कम खर्चीले और त्वरित निर्णयों के लिए अल्टरनेटिव डिस्प्यूट मैकेनिज्म बहुत अहम रास्ता बन रहा है । वैकल्पिक डिस्प्यूट मैकेनिज्म की ये व्यवस्था देश में ईज ऑफ लिविंग के साथ ही ईज ऑफ जस्टिस को बढ़ावा देगी । कानूनों में बदलाव करके, नए प्रावधान जोड़कर सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं, न्याय पालिका के सहयोग से ये व्यवस्थाएं और ज्यादा सशक्त होगी । हमारी न्याय पालिका ने निरंतर राष्ट्रीय विषयों पर सजगता और सक्रियता की नैतिक जिम्मेदारी निभाई है । कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का देश के संवैधानिक एकीकरण का उदाहरण हमारे सामने हैं, सीएए जैसे मानवीय कानून का उदाहरण हमारे सामने हैं । ऐसे मुद्दों पर राष्ट्रीय हित में स्वाभाविक न्याय क्या कहता है, ये हमारी अदालतों के निर्णयों से पूरी तरह से स्पष्ट होता रहा है । हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक न्यायपालिका ने अनेकों बार ऐसे विषयों पर राष्ट्र प्रथम नेशन फर्स्ट के संकल्प को सशक्त किया है । जैसे आपको ध्यान होगा इसी 15 अगस्त को मैंने लालकिले से सेक्यूलर सिविल कोड की बात की है । इस मुद्दे पर भले ही कोई सरकार पहली बार मुखर हुई हो, लेकिन हमारी ज्यूडिशियरी दशकों से इसकी वकालत करती आई है । राष्ट्रीय एकता के मुद्दे पर न्याय पालिका का ये स्पष्ट रूप न्याय पालिका पर देशवासियों में भरोसा और बढ़ाएगा ।

21वीं सदी के भारत को आगे ले जाने में जो शब्द बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है वो है ‘इंटिग्रेशन’ – पीएम मोदी 
वहीं उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के भारत को आगे ले जाने में जो शब्द बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है वो है ‘इंटिग्रेशन’ । ट्रांसपोर्ट्स के मोड का इंटिग्रेशन,  डेटा का इंटिग्रेशन, हेल्थ सिस्टम का इंटिग्रेशन, हमारा विजन है कि देश के जो भी आईटी सिस्टम अगल-अलग काम कर रहे हैं उन सभी का इंटिग्रेशन हो । पुलिस, फाइनेंसिस, प्रोसेस सर्विस मैकेनिज्म और सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला अदालतों तक सभी एक साथ जुड़कर काम करें । आज राजस्थान के सभी जिला न्यायालयों में इस इंटिग्रेशन प्रोजक्ट की शुरुआत हुई है । मैं आप सभी को इस प्रोजेक्ट की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता है । टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल आज के भारत में गरीब के सशक्तिकरण का ट्राइ एंड ट्रेस्टेड फार्मूला बना रहा है । पिछले दस वर्षों में इसे लेकर कई ग्लोबल एजेंसीज और संस्थाओं ने भारत की भरपूर तारीफ की है । डीबीटी से लेकर यूपीआई तक कई क्षेत्रों में भारत का काम एक ग्लोबल मॉडल बनकर उभरा है । अपने उसी अनुभव को हमें जस्टिस सिस्टम में भी इप्लिमेंट करना है । इस दिशा में टेक्नोलॉजी और अपनी भाषा में लीगल डॉक्यूमेंट का एक्सिस ये गरीब के सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी माध्यम बनेगा । सरकार इसके लिए दिशा नाम के इनोवेटिव सोल्यूशन को भी बढ़ावा दे रही है । हमारे लॉ स्टूडेंट्स और अन्य लीगल एक्सपर्ट्स इस अभियान में हमारी मदद कर सकते हैं, इसके अलावा देश में स्थानीय भाषाओं में लीगल डॉक्यूमेंट्स और जजमेंट्स लोगों को मिल सके । इसके लिए भी काम होने है । सुप्रीम कोर्ट ने इसकी शुरुआत की है । सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन में एक सॉफ्टवेयर बना है, जिसे ज्यूडिशियल डॉक्यूमेंट्स 18 भाषाओं में ट्रांसलेट हो सकते हैं । मैं ऐसे सभी प्रयासों के लिए हमारी ज्यूडिशियरी की भी सराहना करता हूं । मुझे विश्वास है हमारी कोर्ट्स ईज ऑफ जस्टिस को इसी तरह सर्वोच्च प्राथमिकता देती रहेगी । हम जिस विकसित भारत का स्वप्न लेकर आगे बढ़ रहे हैं, उसमें हर किसी के लिए सरल, सुलभ और सहज न्याय की गारंटी हो यह बहुत जरूरी है ।  

राजस्थान हाईकोर्ट का नाम गर्व से लिया जाता है- सीएम भजनलाल शर्मा 
पीएम मोदी के संबोधन से पहले समारोह में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा- 75 साल पूरे होने पर हाईकोर्ट को हार्दिक बधाई। उन्होंने कहा- राजस्थान हाईकोर्ट का नाम गर्व से लिया जाता है। आपातकाल के दौरान अधिकारों का हनन हो रहा था, तब कानून का सम्मान रखा। 1949 के बाद यहां के कई न्यायमूर्तियों ने सुप्रीम कोर्ट में सेवाएं दी हैं।

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