ग्लोबल साउथ की बैठक में 100 से अधिक देश शामिल

भारत के नेतृत्व में शनिवार को आयोजित तीसरे वायस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में चीन और पाकिस्तान को आमंत्रित नहीं किया गया था। वर्चुअल तरीके से संपन्न इस बैठक में कुल दस सत्रों का आयोजन हुआ जिसमें दुनिया के सौ से ज्यादा देशों ने कारोबार से लेकर स्वास्थ्य तक, कूटनीति से लेकर ऊर्जा व शिक्षा जैसे मुद्दों पर विमर्श किया।

पड़ोसी देशों के प्रमुखों ने लिया हिस्सा

भारत ने इस बैठक में ग्लोबल साउथ की दुनिया की अगुवाई करने का दावा करने वाले देश चीन को आमंत्रित नहीं किया था और ना ही इस बैठक के लिए पड़ोसी देश पाकिस्तान को आमंत्रित किया गया था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्वयं इसकी जानकारी दी। चीन व पाकिस्तान के अलावा भारत के तकरीबन अन्य सभी पड़ोसी देशों के प्रमुखों ने इसमें हिस्सा लिया।

मोहम्मद यूनुस ने भी हिस्सा लिया 

बैठक के शुरुआती सत्र में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने भी हिस्सा लिया। समिट के विदेश मंत्रियों के सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने एक बार फिर बहुदेशीय वैश्विक संस्थानों में बदलाव की जोरदार मांग रखी और इसे विकासशील व गरीब देशों के भविष्य की प्रगति से जोड़ कर पेश किया।

प्रगति की राह में एक बड़ी अड़चन 

जयशंकर ने कहा कि, ‘अगर हमें इन संस्थानों की साख को बना कर रखनी है तो इनमें शीघ्रता से बदलाव करना होगा। इस बारे में हर देश की एक समान राय है लेकिन इस बारे में हम कुछ नहीं कर पा रहे। खास तौर पर संयुक्त राष्ट्र में सुधार में जितनी देरी हो रही है हमें उसकी उतनी ही ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है।’ जयशंकर ने ग्लोबल साउथ के देशों को वित्त व तकनीकी तक आसानी से पहुंच नहीं होने को उनकी प्रगति की राह में एक बड़ी अड़चन के तौर पर बताया।

वित्तीय प्रतिबंध का उठा मुद्दा 

विदेश मंत्री ने कई देशों पर लगाये जाने वाले वित्तीय प्रतिबंध का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इन समूह के देशों के बीच ज्यादा कारोबार होना चाहिए, ज्यादा निवेश होना चाहिए, ज्यादा सहयोग होना चाहिए और हमारी अपनी मुद्रा में कारोबार होनी चाहिए। इसे एक सीख के तौर पर लेने का आग्रह उन्होंने किया। जयशंकर ने कहा कि, हमें एक परिवार के तौर पर काम करना चाहिए ताकि ग्लोबल साउथ के देशों को कम लागत पर वित्त उपलब्ध हो और उन्हें अत्याधुनिक प्रौद्योगिक भी आसानी से मुहैया हो सके।

भारत और तेजी से आगे बढ़े

बाद में प्रेस कांफ्रेंस में जयशंकर ने बताया कि ग्लोबल साउथ के देश चाहते हैं कि भारत और तेजी से आगे बढ़े। भारत की आर्थिक प्रगति को लेकर ये देश बेहद उत्साहित हैं। बैठक में गाजा और यूक्रेन का मुद्दा भी उठा। भारत समेत कुछ देशों ने आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया। जबकि बांग्लादेश व कुछ दूसरे देशों ने दूसरे देशों की तरफ से राजनीतिक हस्तक्षेप का मुद्दा उठाया।

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