मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को झटका, प्रत्यर्पण का रास्ता साफ

पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा को अमेरिका के न्यायालय से बड़ा झटका लगा है। भारत को प्रत्यर्पित किए जाने से रोक की उसकी याचिका पर अमेरिकी न्यायालय ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच हुए प्रत्यर्पण समझौते के तहत राणा को भारत को सौंपा जा सकता है। इसी के साथ 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में शामिल राणा को भारत लाए जाने का रास्ता साफ हो गया है।

लास एंजिलिस की जेल में बंद राणा

इससे पहले कैलिफोर्निया की नाइंथ सर्किट की डिस्टि्रक्ट कोर्ट के भारत प्रत्यर्पित किए जाने के आदेश को 63 वर्षीय राणा ने न्यायाधीशों के पैनल के समक्ष चुनौती दी थी। राणा इस समय लास एंजिलिस की जेल में बंद है। उस पर मुंबई हमले में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी डेविड कोलमन हेडली की मदद करने का आरोप है। हेडली को मुंबई में हुए हमले का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है।

इस मामले की 5 मुख्य बातें क्या?

जून 2011 में, राणा को एक अमेरिकी अदालत ने मुंबई आतंकवादी हमलों को बढ़ावा देने के आरोप से बरी कर दिया था, लेकिन आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) को सामग्री सहायता प्रदान करने और डेनमार्क में एक आतंकवादी साजिश में मदद करने का दोषी ठहराया गया।

राणा को मुंबई आतंकी हमले की पूरी जानकारी थी और वह पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों और उनके नेताओं के संपर्क में था। 26/11 के प्रमुख दोषियों में से एक डेविड कोलमैन हेडली ने राणा के खिलाफ गवाही दी थी।

राणा पर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) से संबंध रखने का भी आरोप है। 

हालांकि, जूरी ने राणा को भारत में हमलों से संबंधित आतंकवाद को सामग्री सहायता प्रदान करने की साजिश रचने से बरी कर दिया, लेकिन भारत ने उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध जारी किया।

राणा ने तर्क दिया है कि भारत ने पर्याप्त सबूत नहीं दिए कि उसे आरोपित साबित किया जाए, हालांकि, प्रत्यर्पण अदालत ने उसके तर्कों को खारिज कर दिया और प्रमाणित किया कि वह प्रत्यर्पण योग्य था।

मारे गए विदेशियों में छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल

दस पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए उस हमले में देश-विदेश के कुल 166 लोग मारे गए थे। मारे गए विदेशियों में छह अमेरिकी नागरिक भी थे। न्यायाधीशों के पैनल ने कहा, राणा पर जिस तरह के अपराध में शामिल होने का आरोप है उसमें जांच को आगे बढ़ाने के लिए समझौते के अनुसार प्रत्यर्पण की संभावना बनती है। पैनल में शामिल तीनों न्यायाधीशों ने मामले को निपटाते हुए कहा, आरोपित सह साजिशकर्ता की याचिका की सुनवाई में मूल आदेश से इतर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है।

सात साल से जेल में बंद राणा

राणा पर भारत ने जो आरोप लगाए हैं उनका अमेरिका में तहव्वुर राणा पर लगाए गए आरोपों से साम्य नहीं है। अमेरिका में लगे आरोपों से राणा बरी हो चुका है लेकिन भारत की प्रत्यर्पण की याचिका के चलते उसे अभी जेल से रिहा नहीं किया गया है। वह पिछले सात वर्षों से कैद में है।

न्यायाधीशों के पैनल ने माना है कि मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता हेडली की राणा द्वारा मदद करने के भारत के पास पुख्ता सुबूत हैं। उन सुबूतों की अनदेखी नहीं की जा सकती है, इसलिए तहव्वुर राणा की उसे भारत प्रत्यर्पित किए जाने के आदेश को खारिज करने की याचिका को स्वीकार करने की कोई वजह नहीं है। पैनल में शामिल न्यायाधीशों के नाम- मिलान डी स्मिथ, ब्रिगेट एस बाडे और सिडनी ए फिट्जवाटर थे।

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