दक्षिण से लेकर उत्तर भारत तक कुदरत का कहर, हिमाचल में 47 लापता

 बादल फटने और बाढ़ के कारण पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में आई आपदा से बड़ा नुकसान हुआ है। हिमाचल प्रदेश में 47 लोग अब भी लापता हैं। शुक्रवार को दो बच्चों के शव मिले, जिससे मृतकों की संख्या बढ़कर सात हो गई है। कुल्लू, शिमला व मंडी जिलों में सड़कों के क्षतिग्रस्त होने के कारण मशीनरी नहीं पहुंच पा रही है।

बचाव अभियान में जुटे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस व गृहरक्षकों की स्थानीय लोग मदद कर रहे हैं। लापता लोगों के परिवार के लोग उनके इंतजार में डटे हुए हैं। उत्तराखंड में केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए चिनूक व एमआई-17 भी बचाव अभियान से जुड़ गए हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर राहत एवं बचाव अभियान की जानकारी ली।

केदारनाथ में फंसे 700 से अधिक तीर्थयात्री

चिंता की बात है कि केदारनाथ में भूस्खलन के बाद तीसरे दिन भी 150 लोगों से स्वजन का संपर्क नहीं हो सका है। शुक्रवार को 2,744 तीर्थयात्री और निकाले गए, लेकिन अब भी धाम में 700 से अधिक लोग मौजूद हैं। हिमाचल में मौसम विभाग ने लाहुल स्पीति, किन्नौर व सिरमौर को छोड़ बाकी जिलों के लिए तीन व चार अगस्त को और उसके बाद सात व आठ अगस्त को आंधी के साथ भारी वर्षा होने की आशंका जताई है।

हिमाचल में आपदा प्रभावित परिवार के लिए सहायता राशि

हिमाचल प्रदेश में 115 सड़कें यातायात के लिए बंद हैं, जबकि 225 ट्रांसफार्मर खराब होने के कारण बिजली आपूर्ति बाधित है। 106 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं। रामपुर के आपदा प्रभावित क्षेत्र समेज पहुंचे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि आपदा प्रभावित हर परिवार को 50,000 रुपये कपड़े और जरूरी सामान खरीदने के लिए दिए जाएंगे। जिस घर में एक ही व्यक्ति बचा है, उसे भी पूरी राशि दी जाएगी। तीन माह तक किराये के मकान में रहने पर 5000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिमला, मंडी और कुल्लू में बादल फटने के बाद बाढ़ आने से भारी नुकसान हुआ है। इन जिलों में 14 पुल, 115 घर, 23 गौशालाएं, 10 दुकानें बह गई हैं। इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने जयराम ठाकुर ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भेंट की। प्रधानमंत्री ने त्रासदी से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश का सहयोग करने का भरोसा दिया है।

उत्तराखंड में दो दिन में निकाले गए 6,980 से अधिक तीर्थयात्री

उत्तराखंड में तीन दिन पहले केदारनाथ पैदल मार्ग पर बादल फटने और अतिवृष्टि से हुए भूस्खलन के बाद से धाम में संचार सेवा ठप है। बड़ी संख्या में यात्री जंगल के रास्ते चौमासी होते हुए गुप्तकाशी पहुंच रहे हैं, इस रास्ते में भी मोबाइल सेवा नहीं है। पुलिस के मुताबिक, अभी धाम में 700 से अधिक लोग फंसे हुए हैं। इन लोगों को शनिवार शाम तक निकाल लिए जाने की उम्मीद है। हाईवे और पैदल मार्ग ध्वस्त होने से केदारनाथ यात्रा स्थगित है।

तीर्थ यात्रियों को किया गया रेस्क्यू

विभिन्न पड़ावों पर फंसे तीर्थ यात्रियों को निकालने के लिए बचाव दल शिद्दत से जुटे रहे। दिनभर में 2,744 तीर्थ यात्रियों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। इनमें 559 लोग एयरलिफ्ट किए गए। केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए वायु सेना के हेलीकाप्टर चिनूक और एमआइ-17 भी राहत एवं बचाव अभियान से जुड़ गए हैं।

उत्तराखंड में बारिश की कमी के आसार

बताते हैं कि चिनूक मौसम अनुकूल नहीं होने के चलते गौचर से उड़ान नहीं भर सका, जबकि एमआई-17 एक चक्कर ही लगा सका, जिसमें 15 तीर्थ यात्रियों को रेस्क्यू किया गया। अन्य यात्रियों को हेलीकाप्टर से निकाला गया। अब तक 6,980 से अधिक तीर्थयात्री निकाले जा चुके हैं। इनमें लगभग 4,000 से अधिक गुरुवार को रेस्क्यू किए गए थे। उत्तराखंड में राहत की बात है कि अब भारी बारिश में कमी के आसार हैं। प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों मौसम साफ रहेग। उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, नैनीताल और चंपावत में तीव्र बौछारों के एक-दो दौर हो सकते हैं। इन जिलों के लिए वर्षा का यलो अलर्ट जारी किया गया है।

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