कानपुर: बढ़ी उमस से बढ़ाई दिल की धड़कन, हार्ट अटैक के लक्षण आने पर रोगी पहुंचे रहे कार्डियोलॉजी
कानपुर में मानसूनी बारिश के खुलकर न होने से माहौल में बढ़ी उमस दिल की धड़कन बढ़ा रही है। इसके साथ ही हाई ब्लड प्रेशर के रोगी बढ़ रहे हैं। रोगियों को घबराहट होती है और पसीना आने लगता है। हार्ट अटैक जैसे लक्षण आने पर रोगी भागकर कार्डियोलॉजी आ रहे हैं। एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट की ओपीडी में इस वक्त 40 फीसदी रोगी इसी तरह के लक्षण वाले आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि उमस का असर व्यक्ति के नर्वस सिस्टम पर आता है। इससे कुछ न्यूरो रसायन का रिसाव बढ़ता है और प्रतिकूल लक्षण हृदय पर आता है।
मौसम का बदला हुआ मिजाज सेहत पर असर डाल रहा है। खासतौर पर जो हृदय रोगी हैं, उनपर असर दिखने लगा है। कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर राकेश कुमार वर्मा ने बताया कि रोगी दिल की बढ़ी धड़कन के लक्षण के साथ आ रहे हैं। बाईं तरफ छाती में चुभन और अधिक पसीना आने के लक्षण भी रोगियों में मिल रहे हैं। ओपीडी में औसत 1200 रोगी आ आते हैं। इनमें करीब 500 रोगी इसी तरह के लक्षण वाले होते हैं। जिन रोगियों के लक्षण जटिल होते हैं, उन्हें भर्ती कर लिया जाता है।
प्रोफेसर वर्मा ने बताया कि उमस भरे मौसम, तापमान में उतार-चढ़ाव आदि स्थिति से व्यक्ति असहज महसूस करता है। इससे शरीर के नर्वस सिस्टम पर दबाव बढ़ता है, जिसकी वजह से सिंप्थेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है। इससे शरीर में हारमोनल रिसाव बढ़ जाता है। न्यूरो केमिकल का सामंजस्य बिगड़ जाता है। इसका असर दिल पर आता है। स्थिति का सामना करने के लिए दिल अपनी गतिविधियां बढ़ाता है, जिसकी वजह से हार्ट रेट और बीपी बढ़ जाता है। इस तरह के रोगियों का ब्योरा तैयार किया जा रहा है।
ऐसे कर सकते हैं बचाव
एयर कंडीशनर में रहें, जिससे उमस न लगे।
एसी न हो तो पंखे में ठंडे स्थान पर रहें।
सुबह और शाम को नहाएं
बेवजह बाहर उमस भरे माहौल में न जाएं।
खुद को सहज रखें, किसी बात पर बेवजह तनाव न लें।
जटिल लक्षण उभरें तो अपने डॉक्टर को दिखा दें।
कोई इलाज चल रहा है तो बीच में दवा न छोड़ें।
पुराने रोगों की बढ़ रही जटिलताएं
उमस भरे मौसम में हृदय की समस्याओं के अलावा दूसरे रोगों की जटिलताएं बढ़ रही हैं। न्यूरो, पेट रोगी, डायबिटिक, इरिटेबिल बॉवेल सिंड्रोम, अस्थमा, सीओपीडी, लिवर और गुर्दा रोग आदि रोगियों की भी जटिलताएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मौसम का प्रतिकूल प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है। इससे पुराने रोगों के जटिल लक्षण उभरने लगते हैं।