यूपी: सिगरेट से सिगरेट बनाकर सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना, जालसाज कर रहे जीएसटी चोरी

जीएसटी में एक तरफ फ्रॉड रोकने की नाकेबंदी लगातार सख्त की जा रही है तो दूसरी तरफ जालसाज नए-नए रास्ते तलाश रहे हैं। जालसाजों अब सिगरेट से ‘अनूठी’ टैक्स चोरी कर रहे हैं। कुछ समय पहले सेंट्रल जीएसटी की जांच इकाई ने सिगरेट की तंबाकू से किमाम (पान में इस्तेमाल होने वाला) बनाने वाले रैकेट का भंडाफोड़ कर 850 करोड़ की टैक्स चोरी पकड़ी थी।

वहीं, अब स्टेट जीएसटी की टीम ने सिगरेट से सिगरेट बनाने के खेल का खुलासा कर 10 करोड़ रुपये बतौर टैक्स वसूले। इस रैकेट की जड़ें आगरा, नोएडा, लखनऊ, कानपुर, मेरठ से लेकर दिल्ली तक फैली हैं। सेंट्रल जीएसटी के साथ-साथ राज्य कर विभाग ने इसे लेकर व्यापक अभियान छेड़ा है।

सिगरेट से टैक्स चोरी के तरीके देखकर जीएसटी अधिकारी भी हैरत में हैं। सिगरेट से किमाम बनाने की आड़ में टैक्स चोरी के रेकैट का भंडाफोड़ सेंट्रल जीएसटी की जांच इकाई ने किया था। जालसाजों ने किमाम बनाने के लिए बाजार से 41 करोड़ की सिगरेट खरीद दिखाई। फिर उससे तैयार किमाम की कीमत लगभग 18 हजार रुपये बताकर निर्यात दिखा दिया गया। चूंकि निर्यात होने वाले उत्पाद पर इंटीग्रेटेड जीएसटी लिया जा सकता है, इसलिए 850 करोड़ रुपये का दावा कर दिया। 380 करोड़ रुपये का भुगतान भी हो गया लेकिन जांच एजेंसी को शक हो गया। पड़ताल में खेल का खुलासा हुआ कि सिगरेट की तंबाकू से किमाम नहीं बनाया जा सकता। इसके लिए 58 रुपये किलो की तंबाकू खरीद कर बेहद सस्ता किमाम बनाया गया लेकिन कागजों में लागत आठ गुना ज्यादा दिखाकर फर्जी तरीके से रिफंड लिया गया।

इस खुलासे के बाद जालसाजों ने सिगरेट से सिगरेट बनाकर अरबों का चूना लगाना शुरू कर दिया। इसका पर्दाफाश स्टेट जीएसटी की स्पेशल टास्क फोर्स ने किया, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी और डाटा एनालिसिस की अहम भूमिका है। कागजों में बाजार से सिगरेट खरीद कर उससे पुन: सिगरेट का विनिर्माण कर निर्यात दिखाया जा रहा था। बिना टैक्स जमा किए ही सरकारी खजाने में सेंध लगाई जा रही थी। खास बात ये है कि किमाम और सिगरेट दोनों ही मामलों में आगरा, नोएडा, दिल्ली, कानपुर, लखनऊ के लिंक थे। इन मामलों में विभागीय अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है।

सर्कुलर ट्रेडिंग से संगठित टैक्स चोरी
तंबाकू और सिगरेट में टैक्स चोरी में सर्कुलर ट्रेडिंग के प्रमाण मिले हैं। किमाम और सिगरेट दोनों ही मामलों में इस रास्ते से टैक्स चोरी की जा रही थी। सर्कुलर ट्रेडिंग का उपयोग जीएसटी व्यवस्था में इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने के लिए किया जाता है। इसके तहत कई कंपनियां बनाकर आपस में ही सांठगांठ कर फर्जी लेनदेन किया गया। किसी भी वास्तविक वस्तु या सेवा का लाभ उठाए बिना चालान जारी किया। रिफंड के लिए जरूरी सभी दस्तावेज तैयार किए और सरकारी खजाने में एक पैसा जमा किए बना करोड़ों रुपये निकाल लिए।

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