मौत का कोचिंग सेंटर: सुरक्षा ताक पर रखकर चल रहा ‘जानलेवा कारोबार’

संकरी गली, तारों का मकड़जाल, खिड़कियों का कुछ अता-पता नहीं, बिल्डिंग पोस्टरों से पटी है। सुरंगनुमा रास्ता, बेसमेंट में ठसाठस भरी कुर्सियां, रोशनी का नामो निशान नहीं है। छोटे-छोटे डेस्क लगे हैं, उसके ऊपर लॉकर, दाएं-बाएं भारत और दुनिया के नक्शे टंगे हैं। यह नजारा है ओल्ड राजेंद्र नगर में घटनास्थल के कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित ऊषा लाइब्रेरी (रीडिंग रूम) का।

आलम यह है कि कोई अप्रिय घटना घट जाए, तो आपातकालीन निकासी द्वार भी नहीं है। हालत इतने खराब है कि सुरक्षा के भी कोई पुख्ता इंतजाम नजर नहीं आते हैं। यहां न ही अग्निशमन यंत्र दिखा। फर्श से पानी निकल रहा था और इसी में कुछ छात्र अपना सामान समेट रहे हैं। छात्रों ने बताया कि फर्श पर पानी रिसने की शिकायत वह कई बार कर चुके हैं, उसके बावजूद लाइब्रेरी संचालक लापरवाही बरत रहे हैं। छात्रों का कहना है कि फीस दे दी है, अब जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करना मजबूरी है।

यह कहानी सिर्फ एक कोचिंग संस्थान व रीडिंग रूम की नहीं है। कमोबेश यही स्थिति मुखर्जी नगर, करोल बाग, पटेल नगर, ओल्ड राजेंद्र नगर समेत कई कोचिंग हब की हैं। ऐसे में तमाम कोचिंग संस्थानों ने सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनकी लाइब्रेरी या कक्षाएं बेसमेंट में चल रही हैं। इस घटना के बाद भी कई कोचिंग संस्थान व लाइब्रेरी संचालकों की नींद नहीं टूटी है। अब भी बेखौफ होकर कक्षाएं व लाइब्रेरी संचालित की जा रही हैं। रीडिंग रूम में मौजूद अभ्यर्थी राहुल सिंह कहते हैं कि एक महीने की फीस दो से तीन हजार रुपये है। जिस कमरे में रहते हैं, वहां चार लोग हैं। ऐसे में रीडिंग रूम ही अंतिम सहारा है। रीडिंग रूम के संचालक दीपांकर कहते हैं कि उनकी लाइब्रेरी 24 घंटे खुली है, लेकिन जब उनसे सुरक्षा पर सवाल किया जाता है, तो वह कुछ भी बताने से इंकार कर देते हैं। 

सुविधा के नाम पर सुरक्षा के साथ खिलवाड़
मुखर्जी नगर में कुछ लाइब्रेरियों में फिंगर प्रिंट की भी व्यवस्था है। इसके जरिये छात्रों की एंट्री होती है। छात्रों ने बताया कि कोई दूसरा व्यक्ति यहां पर प्रवेश न करे इसलिए मेन गेट पर फिंगर प्रिंट लगाया गया है। लाइब्रेरी का ये बिजनेस काफी प्रचलन में चल रहा है। इन रीडिंग रूम्स को देखने से लगेगा कि ये कोई कॉल सेंटर हैं। इन्हें लाइब्रेरी जरूर कहा जाता है, पर असल में ये रीडिंग रूम्स हैं। मुखर्जी नगर की संकरी गालियों से गुजरते अभ्यर्थी अपने सपनों को लेकर यहां पहुंचते हैं।

घंटे के हिसाब से ली जाती है फीस
यहां बिना किताब वाली लाइब्रेरी का बसेरा है। यहां पर मकान मालिक लाइब्रेरी का बिजनेस कर लाखों पैसे कमा रहे हैं। वह छोटे-छोटे कमरों में 20-25 मेज और कुर्सी लगाकर छात्रों से लाइब्रेरी के नाम पर फीस वसूलते है। अधिकतर रीडिंग रूम्स में रात के समय लड़कियों का प्रवेश वर्जित है। मुखर्जी नगर की एक लाइब्रेरी में पढ़ाई करने आए छात्र अंकित मिश्रा ने कहा कि यहां पर घंटों के हिसाब से लाइब्रेरियन पैसे वसूलते हैं। एक घंटे से लेकर 24 घंटे तक की फीस अलग होती है। अगर रात में पढ़ाई करनी हो तो, उसके लिए अलग से पैसे देने पड़ते है। और लॉकर में किताबें रखने की अलग फीस देनी पढ़ती है। थोड़े पैसे बच सके इसलिए रात में पढ़ने आते हैं। क्योंकि रात में कम लोग यहां होते हैं तो फीस भी कम वसूली जाती है।

छात्रों का कहना है कि यहां दो से तीन छात्रों के साथ रूम में रहना पड़ता है। ऐसे में पढ़ाई पर फोकस लगाने के लिए यहां आना पड़ता है। इसके अलावा उन पर कोई दूसरा कोई विकल्प नहीं रहता है। इसी का फायदा उठाकर यहां पर ऐसी लाइब्रेरी का निर्माण बढ़ता जा रहा हैं। राजस्थान से सिविल परीक्षा की तैयारी करने आए दीपक अपूर्व ने कहा कि यहां कमरे इतने महंगे और छोटे हैं कि लाइब्रेरी में पढ़ना मजबूरी है। मकान का किराया और यहां की फीस चुकाना मुश्किल हो जाता है। छह घंटे के लिए महीने का 600 रुपये देने पढ़ते हैं और सीट रिजर्व कराने के लिए एक हजार तक की फीस देनी पढ़ती है। जितने घंटे बढ़ेंगे उतनी ही फीस भी बढ़ती जाएगी।

बेसमेंट से सामान निकालते दिखे संचालक
ओल्ड राजेंद्र नगर में कुछ लाइब्रेरी व कोचिंग संस्थान अपने बेसमेंट से डेस्क व अन्य सामान निकालते दिखे। एक संचालक ने बताया कि इस घटना के बाद से कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहता इसलिए बेसमेंट से क्लास को खाली किया जा रहा है। यही नहीं, अधिकतर बेसमेंट में चल रही थी लाइब्रेरी व कोचिंग भी बंद थी।

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