RSS में जुड़ने में डर लगता था, सरकार ने लगाई थी 7 साल जेल की सजा
मेरे पिताजी शासकीय सेवक थे। इस कारण वे कभी खुलकर संघ से नहीं जुड़ सके। बावजूद इसके वह परोक्ष रूप से संघ की गतिविधियों में शामिल होते थे। मैंने बचपन से ही हमेशा उनके चेहरे पर नौकरी जाने का भय देखा। लगभग यही दुविधा मेरे सामने भी रही। वर्ष 1982 में मैं केंद्र शासन की सेवा में आ गया। इसके बाद बहुत इच्छा होने के बावजूद संघ से जुड़कर सेवा कार्य नहीं कर सका। पकड़े जाने पर सजा और नौकरी जाने का खतरा रहता था। इतना ही नहीं, सेवानिवृत्त होने के बाद भी केंद्रीय कर्मचारी संघ का काम नहीं कर सकता था। यह बातें पुरुषोत्तम गुप्ता कही। उन्होंने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी जिस पर केंद्र सरकार में कार्यरत और सेवानिवृत्त हजारों कर्मचारियों को राहत मिली है।
गुप्ता ने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने गुरुवार को पांच दशक पुराने उस प्रतिबंध को हटाने का निर्णय दिया, जिसके कारण केंद्र सरकार के अधिकारी, कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवाकार्यों में शामिल नहीं हो सकते थे। अब तक केंद्र सरकार के कर्मचारी विचारधारागत झुकाव के चलते नौकरी के दौरान संघ के कार्यों से जुड़ने के इच्छुक तो रहते थे, लेकिन नियम की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाते थे। इस फैसले के बाद अब ऐसे अधिकारी, कर्मचारी राहत महसूस कर रहे हैं।
रिटायमेंट के बाद भी रहता था डर
गुप्ता ने कहा कि दशकों पुराना यह प्रतिबंध सेवानिवृत्ति के बाद भी केंद्रीय कर्मचारियों का पीछा नहीं छोड़ता था। वजह थी कि सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मचारियों के संघ से जुड़ने पर सात वर्ष तक कारावास का प्रविधान किया गया था। यही वजह थी कि संघ की शाखा में जाकर नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे… प्रार्थना का गान करने या सेवाभारती, मातृछाया जैसे मर्मस्पर्शी संगठनों से जुड़ने की इच्छा होने के बावजूद केंद्रीय कर्मचारी संघ से कभी जुड़ न सके। ऐसे दो-चार नहीं बल्कि सैकड़ों वरिष्ठ अधिकारी और हजारों कर्मचारी हैं।
बचपन से परेशान रहा
गुप्ता ने कहा संघ में जाने पर क्यों लगाया प्रतिबंध मेरे मन में बचपन से ही यह सवाल कौंधता था कि आखिर केंद्र की तत्कालीन सरकार ने आरएसएस पर प्रतिबंध क्यों लगाया है। संघ तो हमेशा बढ़-चढ़कर सेवा कार्य और राष्ट्रहित में काम करता है, फिर उसी पर प्रतिबंध क्यों? हाई कोर्ट में दायर याचिका में भी मैंने शासन से यही सवाल पूछा था कि आखिर कोई केंद्रीय कर्मचारी नौकरी में रहते या सेवानिवृत्त होने के बाद संघ से क्यों नहीं जुड़ सकता।