पर्यटकों के लिए कई मायनों में खास है फ्रांस का Palace of Versailles

फ्रांस के राजा द्वारा बनवाया गया पैलेस ऑफ वर्सेलिस पेरिस से 19 किलोमीटर दूर स्थित है। वर्सेलिस नामक जगह पर बनाए जाने के कारण ही इसे यह नाम दिया गया है। बता दें, 45 साल पहले इसे यूनेस्को (UNESCO) से धरोहर का दर्जा प्राप्त हुआ था। आज यहां 60 हजार चीजों का एक दुर्लभ संग्रह मौजूद है, जो दुनियाभर में आकर्षण का एक बड़ा केंद्र है। चलिए इस आर्टिकल में आपको इससे जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में बताते हैं।

50 वर्षों तक हुए नए-नए निर्माण
जानकारों की मानें, तो फ्रांस के राजा लुईस 13 ने यहां पहले 1623 में एक शिकार लॉज स्थापित की थी। वास्तुकार फिलिबर्ट ले रॉय ने लॉज को लुई के लिए एक महल में बदल दिया, लेकिन उनकी मौत के साथ लुई 14 ने 1661-1715 के बीच कई बदलावों के साथ इस जगह को एक विशालकाय रूप दिया। 1682 में लुई 14 ने अपने दरबार और सरकार के मुख्यालय को वर्सेलिस में शिफ्ट कर दिया और यह फ्रांस की राजधानी बना। उनके बाद के शासकों ने इस सिलसिले को जारी रखा और महल में अगले 50 वर्षों के दौरान लगातार नए-नए निर्माण होते गए। वहीं, 1789 में शाही परिवार और फ्रांस की राजधानी पेरिस लौट आई।

क्यों पर्यटकों के लिए है खास?
दुर्लभ चीजों का बड़ा कलेक्शन : साल 1837 में यहां द म्यूजियम ऑफ द हिस्ट्री ऑफ फ्रांस की शुरुआत की गई थी, जहां दुर्लभ चीजों का एक बड़ा कलेकशन था। बता दें, कि आज यहां कलाकृतियां, मूर्तियां, पेंटिंग्स, शेंडलियर्स जैसी 60 हजार चीजों का बड़ा संग्रह मौजूद है।

वर्सेल्स का चैपल : फ्रांस के वर्सेल्स पैलेस के प्रांगण में चैपल भी स्थित है, जो दो स्तरों पर बना है। खास बात है, कि इसकी छत को धार्मिक कहानियों के पात्रों के साथ चित्रित किया गया है।

लैटोना फाउंटेन : यह महल में स्थित एक बेहद खूबसूरत फाउंटेन है, जो महल की शोभा बढ़ाने का काम करता है। बता दें, इसके ऊपरी भाग में देवी लैटोना की एक मूर्ति स्थित है, जिन्हें सूर्य और चंद्र देवता की जननी माना जाता है। इसी से इस विशालकाय फाउंटेन का नाम भी प्रेरित है।

यूनेस्को से मिला धरोहर का दर्जा
क्या आप जानते हैं कि इस महल और इसके पार्क को 1979 में यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ था? बता दें, फ्रांसीसी संस्कृति मंत्रालय ने महल को सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्मारकों की सूची में भी शामिल किया है। महल में कई जगहों पर संगमरमर की दीवारें और सोने के दरवाजे लगे हुए हैं।

कैसा रहा नेपोलियन का दौर?
गौरतलब है कि फ्रांसीसी क्रांति के बाद महल उपेक्षित रहा। इस दौरान तख्तापलट हुआ और सम्राट के रूप में कार्यभार संभालने के बाद नेपोलियन ने अपने शासन काल में फ्रांसीसी बारोक शैली में बने इस महल को ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में इस्तेमाल किया। 1815 में, नेपोलियन के पतन के साथ ही दोबारा राजशाही के अगले शासकों ने कई वास्तुकारों के साथ मिलकर इसका विस्तार किया।

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