कानपुर: हैलट में कोरोना काल में आए 100 वेंटिलेटर में 40 कबाड़
गंभीर रोगियों को सांस देने वाले वेंटिलेटर ही हैलट में दम तोड़ रहे हैं। कोरोना काल (दिसंबर 2020) में पीएम केयर फंड से आए 100 वेंटिलेटर एक साल में ही खराब हो गए, जबकि इनकी उम्र औसत उम्र चार से पांच साल थी। रखरखाव और मरम्मत के अभाव में तीन साल से कंडम पड़े हैं। अस्पताल प्रशासन अब हरकत में आया है, जब शासन की ओर से खुद इनकी मरम्मत के लिए पैसा जारी हुआ। हालांकि अब बहुत देर हो चुकी है। निरीक्षण के बाद कंपनी ने दावा किया कि 60 वेंटिलेटर ऐसे हैं, जो मरम्मत के बाद शुरू हो सकते हैं, जबकि 40 वेंटिलेटर चलने लायक ही नहीं हैं। हालांकि इनकी गुणवत्ता पर अस्पताल के डॉक्टर ही सवाल उठा चुके थे।
हैलट अस्पताल में वर्तमान में सभी विभागों में कुल 60 वेंटिलेटर संचालित हैं। जिले के सबसे बड़े अस्पताल के लिहाज से यह संख्या बेहद कम है। इसी वजह से मरीज हमेशा वेटिंग में बने रहते हैं। कोरोना काल में मिले 100 वेंटिलेटरों से इस समस्या को दूर किया जा सकता था, लेकिन एक साल तक चलने के बाद जब ये वेंटिलेटर खराब पड़ने लगे तो एक-एक कर इन्हें किनारे रख दिया गया। सूत्रों के अनुसार एक वेंटिलेटर की कीमत करीब चार लाख रुपये थी। वेंटिलेटर देने वाली कंपनी की गारंटी एक साल की ही थी। इसलिए कंपनी की जवाबदेही नहीं बनती, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने भी अपनी ओर से पहल नहीं की। वेंटिलेटरों को बंद कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी। हालांकि अब मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला के प्रयास के बाद शासन की ओर से इनकी मरम्मत का बजट आया है।
कंपनी ने निरीक्षण कर बताया 60 प्रतिशत के ही चलने की उम्मीद
बजट आने के बाद प्राचार्य ने वेंटिलेटर उपलब्ध कराने वाली कंपनी से संपर्क किया। इसके बाद बंद पड़े वेंटिलेटरों का कंपनी ने निरीक्षण किया। कंपनी के लोगों ने बताया कि 40 वेंटिलेटर चलने लायक नहीं हैं। 60 वेंटिलेटर ऐसे हैं, जो मरम्मत के बाद चल सकते हैं। टीम ने कहा कि हर साल मरम्मत कराने और सही तरह से रखरखाव किया जाए तो ये चार से पांच साल चल सकते हैं।
वेंटिलेटर पर हुई थी बच्चे की मौत, गुणवत्ता पर उठे थे सवाल
चलत-चलते बंद होने से हो गई थी बच्चे की मौत
पीएम केयर फंड से आए वेंटिलेटरों पर कोरोना के दौरान भी सवाल उठे थे। सवाल उठाने वाली बाल रोग की असिस्टेंट प्रोफेसर को निलंबित कर दिया गया था और विभागाध्यक्ष से शासन की छवि खराब करने की बात कहते हुए स्पष्टीकरण भी मांगा गया था।दरअसल, दो वेंटिलेटर बाल रोग विभाग के पीआईसीयू में भी लगाए गए थे। डॉक्टर का कहना था कि वेंटिलेटर के अचानक रुक जाने से बच्चे की मौत हो गई थी। इस मौत का कारण वेंटिलेटर को नहीं स्टाफ की लापरवाही मानी गई थी। डॉक्टर का कहना था कि वेंटिलेटर चलते-चलते अचानक रुक जाते थे। शिकायत के बाद भी मरम्मत नहीं कराई गई थी। बाल रोग विभागाध्यक्ष ने मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल को पत्र लिखकर इन वेंटिलेटर को हटाने की मांग भी की थी।
बजट आया, कराएंगे मरम्मत
शासन से पहली बार पीएम केयर फंड से आए वेंटिलेटरों की मरम्मत के लिए बजट जारी किया गया है। कंपनी से आई टीम ने निरीक्षण किया था, जो पूरी तरह खराब थे, उन्हें हटा दिया गया है। कोरोना के बाद पहली बार प्राचार्य के प्रयास से ये बजट मिला है। इस बजट से 60 वेंटिलेटरों की मरम्मत कराई जाएगी।- डॉ. आरके सिंह, प्रमुख अधीक्षक, हैलट
सही हो जाएं तो मुरारीलाल अस्पताल को मिल सकेंगे वेंटिलेटर
प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि वेंटिलेटरों के ठीक होने से अस्पताल आने वाले ज्यादा से ज्यादा मरीजों को सुविधा मिल पाएगी। मुरारीलाल अस्पताल में पांच से सात लगवा देंगे। इसके अलावा करीब पांच वेंटिलेटर और आएंगे। एक वेंटिलेटर की कीमत 20 से 22 लाख रुपये होगी।
वर्तमान में बनी रहती है जरूरत
अस्पताल में संचालित 62 वेंटिलेटर हमेशा भरे रहते हैं। इस वजह से मरीजों को रेफर करना पड़ता है। दिन में औसतन पांच से सात मरीज रेफर करने पड़ते हैं। कई बार रेफर करने वाली संख्या ज्यादा भी हो जाती है।
एक तिहाई कीमत से आए थे वेंटिलेटर
अमूमन अच्छे वेंटिलेटर 20 से 22 लाख के होते हैं, जो अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ ही उच्च गुणवत्तायुक्त होते हैं। पीएम केयर फंड से आने वाले वेंटिलेटर करीब एक तिहाई कीमत के थे। इनमें एक साल की वारंटी थी।