कानपुर: लाल इमली मिल में 23 लाख के वेतन घोटाले में चार अफसर दोषी

लाल इमली मिल में हुए 23 लाख के वेतन घोटाले की प्रारंभिक जांच में चार अफसरों को दोषी पाया गया है। सभी को चार्जशीट देकर एक सप्ताह में जवाब मांगा गया है। जांच में सुनियोजित तरीके से गबन करने के साक्ष्य मिले हैं। तीन नए खाते खोले गए, जबकि मिल बंद होने की वजह से नए खाते नहीं खोले जा सकते। बीआईसी ने विभागाध्यक्ष वित्त राखी सेठी, लाल इमली मिल इंचार्ज बीके मौर्या, अकाउंट अफसर विनय मिश्रा, धनराशि स्वीकृत करने वाले अधिकारी मनोज शुक्ला को दोषी मानते हुए चार्जशीट दी है।

बंदी के मुहाने पर खड़ी लाल इमली मिल में 52 लाख रुपये का घोटाला किया गया। 23 लाख के वेतन घोटाले के अलावा डैमेज शुल्क में 29 लाख रुपये की गड़बड़ी मिली थी। जांच में पता चला था कि दिनेश कुमार, रामआसरे और सुनैना देवी नाम के व्यक्तियों के खातों में सात से साढ़े आठ लाख रुपये डाले गए थे। दिनेश कुमार और रामआसरे के खाते चंदौली वाराणसी के थे। बताया गया कि ये सभी खाते मार्च 2023 में खोले गए थे, जबकि रुपये जुलाई 2023 में आने थे। मिल में किसी का नया खाता नहीं खुलता है।

बताया गया कि मिल में काम न करने वाले तीनों मिल के एक अधिकारी के रिश्तेदार हैं। पीएमएफ पोर्टल के जरिये कर्मचारियों को सरकार की ओर से किए गए भुगतान का ब्योरा दर्ज रहता है। इसके संचालन के लिए एक खास पासवर्ड की जरूरत होती है। यह पासवर्ड प्रशासनिक अधिकारी, विभागाध्यक्ष और मिल इंचार्ज के पास ही होता है। इन पासवर्ड के जरिये ही लेन-देन की जानकारी मिलती है। इसका दुरुपयोग किया गया। जांच में पता चला कि नए खाते खोलने के लिए कोई सहमति नहीं ली गई। मिल में नई भर्ती पहले से ही बंद है। ऐसे में नए खाते केवल किसी कर्मचारी के देहांत होने पर उनके वारिस के ही खुल सकते हैं, लेकिन अफसरों ने मिलीभगत करके नए खाते खोले और उसमें रुपये डलवाकर घोटाला किया।

आरोपियों से वसूली जाएगी रकम
एक अधिकारी ने बताया कि मिल में हुए घोटाले की रकम आरोपियों से वसूली जाएगी। प्रारंभिक जांच में सोची समझी रणनीति के तहत रिश्तेदारों के खाते खुलवाकर रकम भेजी गई। डैमेज शुल्क में हुई गड़बड़ी में कई कर्मचारियों की जांच की जा रही है। लाल इमली कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने बताया कि चार अफसरों से एक सप्ताह में जवाब मांगा गया है। वेतन में गड़बड़ी करने वालाें पर सख्त कार्रवाई की जाए।

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