फायदेमंद है महुआ का फल और फूल, ग्रामीण इसे बेचकर करते हैं कमाई और तेल का करते हैं उपयोग
वन और जंगलों में होने वाला महुआ का पेड़ आदिवासी और गरीब किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। इसके फल-फूल का उपयोग कर कटनी के रहवासियों न सिर्फ इससे घर के लिए तेल बनाते हैं, बल्कि उसे बेचकर हर सीजन पर लाखों रुपये कमाकर अपना जीवन यापन भी करते हैं। खितौली ग्राम के सुशील साहू बताते है की महुआ ग्रामीणों के आमदनी में बहुत मददगार साबित हो रहा है, हम जंगल से महुआ का फल और फूल तोड़कर घर लाते हैं, फूल बेचकर रुपयों की व्यवस्था कर लेते हैं। वहीं, महुआ के फल जिसे स्थानीय भाषा में गोही भी बोला जाता है उसका तेल निकालकर उपयोग करते हैं।
समाजसेवी अर्पित पोद्दार बताते हैं कि गांव और आदिवासियों के लिए महुआ एक आय का बहुत अच्छा साधन है। आदिवासी कड़ी मेहनत करते हुए जंगलों के बीच लगे महुआ के गिरे हुए फल बिनते हैं और उसे हल्की धूप दिखाते हुए बेच देते हैं। वहीं, जब महुआ का फूल गिर जाता है और फिर उसमें फल आता है जिसे 3 दिन सुखाने के बाद उसका छिलका उतारकर फिर सुखाते हैं और फिर तेल निकालते हैं।
हलषष्ठी की पूजा में है गोही का महत्व
हलषष्ठी की पूजा को लेकर पंडित शिवम तिवारी ने बताया की इस दिन महुआ को पुत्र के रूप में पूजा जाता है। इसलिए महुआ का फूल खाया जाता हैं और फल यानि गोही के तेल से पूजा के लिए पूड़ी बनाई जाती है, जिसे खाकर महिलाएं अपना उपवास तोड़ती हैं।