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मोदी सरकार के नोटबंदी का असर से देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2016-17 की जनवरी-मार्च तिमाही में घटकर 6.1 फीसदी रह गई है.
जबकि पूरे वित्त वर्ष में यह घटकर 7.1 प्रतिशत पर आ गई है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों में यह बात सामने आई है.
इससे पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर आठ फीसदी थी. आंकड़ों के मुताबिक, कृषि क्षेत्र के काफी अच्छे प्रदर्शन के बावजूद वृद्धि दर नीचे आई है.
इस अवधि में कृषि की विकास दर में करीब सात बढ़कर 4.90 फीसदी पर पहुंच गई. आंकड़ों के मुताबिक, कृषि को छोड़कर सभी क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गई है. सबसे तेज गिरावट निर्माण क्षेत्र में देखने को मिली है.
बीते साल इस क्षेत्र की वृद्धि दर छह फीसदी थी, जबकि इस साल -3.7 फीसदी रह गई है. जो बड़ी गिरावट है. उल्लेखनीय है कि पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की गई थी.
देश में प्रति व्यक्ति आय एक लाख रुपये के पार
विकास दर घटने के बावजूद देश में प्रति व्यक्ति आय मौजूदा मूल्य पर वित्त वर्ष 2016-17 में 9.7 प्रतिशत बढ़कर 1,03,219 रुपये पर पहुंच गई. इससे पिछले वित्त वर्ष में यह यह 94,130 रुपये थी.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों में यह बात सामने आई है.प्रति व्यक्ति आय देश में समृद्धि का संकेतक होती है
आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की रफ्तार भी तेज रही है. जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में देश में प्रति व्यक्ति शुद्ध आय में 7.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी.
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आंकड़ों के अनुसार हालांकि, वास्तविक आधार (2011—12 के मूल्य) के हिसाब से वित्त वर्ष 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय 5.7 प्रतिशत बढ़कर 82,269 रुपये रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 77,803 रुपये रही थी. वर्ष 2011—12 के मूल्य के हिसाब से देश की सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) के 120.35 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. जो इसके पिछले वित्त वर्ष में 112.46 लाख करोड़ रुपये रही थी.
कृषि विकास दर सबसे तेज
देश के कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2016-17 में 4.9 प्रतिशत रही है. जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 0.70 फीसदी थी.
सीएसओ के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 में विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर घटकर 5.3 फीसदी रह गई है. जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 12.7 फीसदी रही थी.
क्या कहते हैं जानकार
पंकज पटेल,अध्यक्ष, फिक्की कहते हैं कि आंकड़े प्रारंभ में जारी अनुमानों के अनुरूप है. हालांकि, चौथी तिमाही में विकास के आंकड़ें में गिरावट देखी गई है जो नोटबंदी के कारण हो सकता है.
टी.सी.ए. अनंत, मुख्य सांख्यिकीविद कहते हैं कि अर्थव्यवस्था पर सिर्फ नोटबंदी का असर प्रमुख वजह नहीं है. हर नीतिगत निर्णयों का आर्थिक आंकड़ों पर प्रभाव पड़ता है.
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बुधवार को जारी एक अन्य आंकड़े के अनुसार देश के आठ बुनियादी उद्योग की वृद्धि दर इस साल अप्रैल में घटकर 2.5 फीसदी रह गई. जबकि पछले साल अप्रैल में यह 8.7 फीसदी थी.
बढ़ी वित्त वर्ष 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय
उद्योग संगठन एसोचैम के आंकड़े के अनुसार हैं. हालांकि, नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर असर हुआ है और विनिर्माण गतिविधियां प्रभावित हुई हैं.