रीति-रिवाज के साथ किया गाय का दाह संस्कार, बैंड-बाजे के साथ निकाली अंतिम यात्रा

भारत में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है. बच्चे के जन्म के साल भर बाद उसे सबसे पहले गाय का ही दूध दिया जाता है. ऐसा पाया गया है कि गाय के दूध में मां के दूध सा ही पोषण होता है. इस वजह से गाय को मां कहा जाता है. हालांकि, भारत में कई गायों को कसाई के पास भेज दिया जाता है. जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो कुछ स्वार्थी और लालची लोग उसे कसाई के हाथों बेच देते हैं. लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं तो इनकी मौत के बाद ऐसा काम कर जाते हैं, जिसकी चर्चा दूर-दूर तक होने लगती है.
हाल ही में सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश के धार के बालोदा गांव से एक बेहद प्रेरणादायक और दिल को जीत लेने वाला मामला सामने आया. यहां एक गौशाला में गाय की मौत होने के आबाद उसका अंतिम संस्कार किया गया. इस दाह संस्कार को देख सभी इमोशनल हो गए. गाय की अंतिम यात्रा में बैंड बाजा भी बजवाया गया. उसके बाद सभी के दर्शन कर लेने के बाद गाय को शमशान में ले जाकर अग्नि के हवाले कर दिया गया.
पेश की मिसाल
बालोदा गांव में श्री निर्मोही गौशाला में 2007 में कपिला गाय को लाया गया था. उस समय उसकी उम्र डेढ़ साल थी. अब जब गाय माता शांत हुई तो गौशाला के अध्यक्ष और गांव वालों को उसकी अंतिम यात्रा निकाली. अंतिम यात्रा में बैंड बाजा बजाया गया. इसके बाद पूरे गांव वालों ने गाय माता के दर्शन किये. फिर गाय को अग्नि के हवाले कर दिया गया. इस अंतिम संस्कार के दौरान ना सिर्फ लोग रो रहे थे बल्कि आसमान भी रोता नजर आया. आसमान से जोरदार बारिश हो रही थी.
लोगों ने की तारीफ
गाय की अंतिम यात्रा के इस वीडियो ने लोगों का दिल जीत लिया. ऐसे कई मामले देखने को मिलते हैं जब लोगों एक घर में गाय की मौत हो जाती है तो वो उसे या तो कसाई के हवाले कर देते हैं या ऐसे ही फेंक देते हैं. लेकिन इस गौशाला ने जिस तरह से गाय का दाह संस्कार किया, उसे सनातन धर्म की खूबसूरती ही कहा जा सकता है. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है.