बेशकीमती पानी: तीन से 30 करोड़ तक के आशियाने, बूंद-बूंद को तरस रहे लोग
गुरुग्राम की सबसे पॉश सोसाइटियों में शुमार डीएलएफ के निवासियों की प्यास बुझाने की जिम्मेदारी अब हरियाणा ग्राउंड वाटर अथॉरिटी के पाले में है। डीएलएफ फेज-वन, फेज-टू और फेज-तीन में गर्मी की शुरुआत से ही जल संकट बना हुआ है। इसको लेकर कई बार प्रदर्शन हो चुके हैं। डीएलएफ प्रबंधन का कहना है कि जीएमडीए से जो पानी आ रहा है, वह यहां की जरूरत के मुकाबले 40 प्रतिशत कम है।
डीएलएफ प्रबंधन का कहना है कि पिछले साल जीएमडीए ने अनुमति दी थी कि जिन जगहों पर जरूरत है, वहां ट्यूबवेल लगा लें, लेकिन ट्यूबवेल लगाए जाने संबंधित फाइल हरियाणा ग्राउंड वाटर अथॉरिटी के पास लंबित है। उनकी इजाजत मिल जाए तो वे ट्यूबवेल लगा दें। यह मामला पिछले साल से चल रहा है। डीएलएफ फेज टू और थ्री के लोग इससे ज्यादा परेशान हैं। फेज-टू में करीब 20 हजार और फेज-3 में करीब 25 हजार लोग रहते हैं। लोग टैंकरों से काम चला रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे हैं। यह हाल तब है जब प्लॉटेड कॉलोनी फेज-टू के एक फ्लोर की न्यूनतम कीमत ढाई करोड़ रुपये है। इस इलाके में ढाई से 30 करोड़ तक खर्च कर लोगों ने अपने घर बनाए हैं।
प्रदर्शन के बाद कुछ सुधार मगर पर्याप्त नहीं
पिछले छह महीने से आवाज संगठन के माध्यम से डीएलएफ फेज-टू में पानी को लेकर संघर्ष कर रहे एम ब्लॉक निवासी अरविंदो वर्मा बताते हैं कि जीएमडीए से ट्यूबवेल की अनुमति मिली हुई है। पानी की जरूरत पूरी करने के लिए वे 20 बोरवेल तक बना सकते हैं। जहां तक उनकी जानकारी है, चंडीगढ़ से भी इसकी अनुमति मिली हुई है। पाइप लाइन का पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बदला गया है। पिछले दिनों प्रदर्शन के बाद हालात कुछ सुधरे तो हैं मगर यह ज्यादा दिन नहीं चलेगा।
डीएलएफ फेज टू में ही पेयजल के लिए संघर्ष कर रहे विपिन यादव कहते हैं कि पड़ोस के गांव नाथूपुर, सिकंदरपुर और सुशांत लोक-टू, थ्री में सबमर्सिबल की इजाजत मिल गई है। फेज टू में छह सबमर्सिबल की इजाजत मिली हुई है। यहां निर्माण कार्य के लिए भूजल का प्रयोग हो रहा है। उनके मोटर सशक्त हैं, मगर पीने के लिए पानी नहीं दे रहे हैं।
बसई ट्रीटमेंट प्लांट से मिलता है डीएलएफ को पानी
बसई वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में गुड़गांव वाटर चैनल से 100 क्यूसेक पानी आता है, लेकिन पिछले दिनों इस नहर से 80 से 90 क्यूसेक ही पानी आ रहा था। इस कारण भी डीएलएफ को पानी कम मिला। हालांकि इस हफ्ते इस नहर में पूरा पानी आना शुरू हो गया है। सिंचाई विभाग के एसई तरुण अग्रवाल के अनुसार अब नहरों में पूरा पानी दिया जा रहा है।
लोगों ने कहा
डीएलएफ ने पिछले दिनों के जिन ब्लॉक में परेशानी थी, वहां अतिरिक्त पाइप लाइन जोड़ कर पानी की आपूर्ति बढ़ाई गई है। डीएलएफ के अधिकारियों का कहना है कि हरियाणा ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की अनुमति नहीं मिली है, इसलिए सबमर्सिबल नहीं लगा रहे हैं। – नवीन कुमार, संयोजक आरडब्ल्यूए, डीएलएफ।
यह बहाना है कि ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की अनुमति नहीं है। डीएलएफ के पड़ोस के गांव सिकंदरपुर, नाथूपुर और सुशांत लोक टू में पिछले दिनों ट्यूबवेल बनाए गए। गांवों में इजाजत मिल रही है तो फिर डीएलएफ में क्या दिक्कत है। ये लोग ट्यूबवेल में पैसे खर्च नहीं करना चाह रहे हैं। न ही पुराना पानी का चैनल दुरुस्त कर रहे हैं। – विपिन यादव, डीएलएफ फेज टू
पिछले दिनों इसको लेकर बैठक में जीएमडीए ने स्पष्ट किया है कि वे जितना पानी दे रहे हैं, उससे ज्यादा पानी डीएलएफ को नहीं दे सकते हैं। इमरजेंसी के लिए डीएलएफ 10 ट्यूबवेल लगा लें। हर गर्मी में परेशानी होती है, लेकिन इस बार पानी की बहुत दिक्कत हुई है। लोग 1500 से 2000 में टैंकर खरीद रहे हैं। डीएलएफ जो टैंकर उपलब्ध करा रहा है वह पर्याप्त नहीं है। – रमा रानी राठी, पूर्व पार्षद