कानपुर: लाल इमली मिल में 52 लाख का घोटाला, पांच अफसर समेत सात कर्मचारी जांच के घेरे में…

कानपुर की लाल इमली मिल में 52 लाख रुपये का घोटाला सामने आया है। मिल में जो कर्मचारी काम नहीं करते थे, उनके खातों में 23 लाख रुपये भेज दिए गए। यह धनराशि मिल के कर्मचारियों को दी जानी थी। इसके अलावा डैमेज शुल्क में 29 लाख की गड़बड़ी पाई गई है। हेरफेर सामने आने के बाद मिल के उच्च अफसरों ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी है। टीम ने जांच-पड़ताल भी शुरू कर दी है। अकाउंट और हाजिरी सेक्शन के पांच अफसर समेत सात लोग जांच के घेरे में आ गए हैं।

इसमें एक सेवानिवृत्त कर्मचारी भी है। केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले लाल इमली, बीआईसी और धारीवाल के कर्मचारियों-अफसरों को जून 2019 से 31 मार्च 2022 तक भुगतान करने के लिए 102 करोड़ रुपये का बजट दिया था। इसमें से अब तक 80 करोड़ 17 लाख का भुगतान किया जा चुका है। कुछ समय पहले कर्मचारियों, सेवानिवृत्त और दिवंगत कर्मचारियों के परिजनों को किए गए भुगतान का आंतरिक मूल्यांकन किया गया था। इसमें अफसरों ने लाखों का हेरफेर पकड़ा।

पता चला कि दिनेश कुमार, रामआसरे और सुनैना देवी नाम के व्यक्तियों के खाते में अलग-अलग सात से साढ़े आठ लाख रुपये डाले गए। दिनेश कुमार और रामआसरे के खाते चंदौली वाराणसी के थे। इसी तरह मिल के अलग-अलग क्वार्टरों में रहने वाले तमाम कर्मचारियों के डैमेज शुल्क में 29 लाख रुपये की गड़बड़ी मिली। डैमेज शुल्क नौकरी के बाद भी घर न छोड़ने वाले कर्मचारियों से वसूला जाता है। गड़बड़ी की जांच के लिए गठित टीम में दो सदस्य पंजाब स्थित धारीवाल मिल के और एक कानपुर स्थित मुख्यालय का अधिकारी है। टीम के सदस्यों ने दो दिन तक जांच-पड़ताल की है।

एक अफसर और हाजिरी सेक्शन के दो कर्मचारी शक के घेरे में
जांच में देखा जा रहा है कि बाहर के व्यक्तियों के खाते में रकम कैसे चली गई। इसमें अकाउंट विभाग के चार और हाजिरी सेक्शन से जुड़े एक अफसर और हाजिरी सेक्शन के दो कर्मचारी शक के घेरे में हैं। एक उच्च अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है। लाल इमली कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और रकम की वसूली कराई जाए। मिल के कर्मचारियों का 22 महीने के बकाया वेतन, लीव इन कैशमेंट, बोनस का जल्द भुगतान कराया जाए।

बीआईसी का मुख्यालय बनेगा लाल इमली
बीआईसी की ओर से संचालित की जाने वाली लाल इमली और धारीवाल मिल के भविष्य पर जल्द फैसला आ सकता है। 2017 में नीति आयोग बीआईसी की बंदी की सिफारिश कर चुका है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने कुछ समय पहले बीआईसी और नेशनल टेक्सटाइल कॉरपोरेशन (एनटीसी) को एक साथ बंद करने की प्रकिया शुरू की थी। शहर में एनटीसी की पांच मिलें हैं। इसमें से दो मिलों को छोड़कर तीन मिलों की जमीनें फ्री होल्ड हैं।

10 हजार करोड़ से ज्यादा है कीमत
दोनों कंपनियों की शहर भर में तीन से चार सौ एकड़ जमीन है। इसकी कीमत 10 हजार करोड़ से ज्यादा है। इन दोनों कंपनियों की बंदी के लिए फाइलें डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज के पास है। यहां से अनुमति मिलने के बाद कैबिनेट में प्रस्ताव रखा जाना था। बताया गया कि बीआईसी का मुख्यालय एल्गिन मिल में था, जिसे अब लाल इमली लाया जा रहा है। इसके लिए आर्डर भी जारी कर दिया गया है। एल्गिन मिल लिक्विडेशन में है।

केडीए, नगर निगम को मिल सकती हैं जमीनें
केडीए और नगर निगम के पास शहर में जमीनें नही हैं। बीआईसी की जमीन सबसे ज्यादा नजूल की है जो लीज पर दी गई हैं। इनकी लीज खत्म हो रही है। उन पर जिला प्रशासन कब्जा वापस ले रहा है। इन जमीनों के ज्यादा से ज्यादा उपयोग के लिए प्रदेश सरकार, कपड़ा मंत्रालय के बीच पूर्व में ही बातचीत शुरू हो गई थी। सूत्रों का कहना है कि सरकार इन जमीनों को नगर निगम या केडीए को दे सकती है। इन जमीनों पर अस्पताल, प्रदूषण रहित उद्योग, टाउनशिप बनाई जा सकती है।

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