काशी दुनिया का इकलौता शहर, जहां 11 नदियों के पांच संगम

काशी दुनिया का इकलौता शहर है, जहां 11 नदियों के पांच संगम हैं। इनमें गंगा के अलावा, यमुना, सरस्वती, किरणा, धूतपापा, असि, वरुणा, कालगंगा, मंदाकिनी और गोदावरी आदि नदियां शामिल हैं। पुराणों के अनुसार काशी में सभी तीर्थ और नदियां समाहित हैं।

काशी की नदियों को लेकर आनंदकानन काशी ढूंढे की टीम ने शोध किया। इससे पता चला कि 11 नदियों के पांच संगम गंगा के तट पर ही हैं। स्कंदपुराण, काशीखंड और शिवपुराण के अनुसार अस्सी से राजघाट के बीच इन सभी नदियों का संगम होता है।

असि का संगम अस्सी घाट और वरुणा नदी का संगम आदिकेशव घाहहै। इसी तरह यमुना सरस्वती का संगम प्रयागघाट, यमुना, सरस्वती और नर्मदा का संगम त्रिलोचन घाट, यमुना, सरस्वती, किरणा और धूतपापा का संगम पंचगंगा घाट पर होता है।

असि और वरुणा को छोड़कर बाकी आठ नदियां गुप्त रूप से प्रवाहमान हैं। इन 11 नदियों ने काशी में तपस्या करके शिवलिंग भी स्थापित किए हैं। इन नदियों के प्रतीक स्वरूप शिवलिंग आज भी विराजमान हैं।

तालाब और कुएं के रूप में हैं दो नदियां
गोदावरी नदी का प्रवाह गोदौलिया और मंदाकिनी नदी का प्रवाह मैदागिन पर होता था। आज मंदाकिनी नदी तालाब के स्वरूप में और गोदावरी नदी कुएं के रूप में विराजमान हैं।

ये हैं नदियां
गंगा, यमुना, सरस्वती, किरणा, धूतपापा, शुष्का या असि, वरुणा, कालगंगा, मंदाकिनी, नर्मदा और गोदावरी
नदियों द्वारा स्थापित शिवलिंग
ललिता घाट पर गंगेश्वर, सरस्वती और यमुना का शिवलिंग त्रिलोचन घाट, किरणेश्वर मंगला गौरी और धूतपापेश्वर पंचगंगा घाट, शुष्केश्वर शिवलिंग शुकुलपुरा वरणेश्वर महादेव वरुणा के तट पर शैलपुत्री की पूरब दिशा में विराजमान हैं।

शोध की टीम शामिल सदस्य
आनंदकानन काशी ढूंढे टीम में बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के प्रो. माधव जनार्दन रटाटे, काशी करवत मंदिर के महेश उपाध्याय, मंगला गौरी के महंत नरेंद्र पांडेय, भृगु संहिता विशेषज्ञ वेदमूर्ति शास्त्री, मनीष पांडेय,राम जानकी मंदिर महंत संजय मिश्रा एवं काशी विद्यापीठ संस्कृत विभाग के डाॅ. उपेंद्र देव पांडेय, सुधांशु पांडेय, उमेश मिश्रा, केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा शामिल हैं।

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