कानपुर: गैंग का पर्दाफाश…पांच गिरफ्तार, रिक्त पदों की जानकारी लेने आए थे आरोपी
अपर निदेशक (एडी) माध्यमिक शिक्षा की फर्जी ईमेल बनाकर डीआईओएस कानपुर नगर को फर्जी शिक्षकों की भर्ती के लिए नाम का पैनल भेजने वाले गैंग का गुरुवार को पर्दाफाश हो गया। पुलिस ने माध्यमिक शिक्षा सेवा भर्ती चयन बोर्ड के दो संविदा कर्मियों व एक सेवानिवृत्त कर्मी समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में शिक्षा विभाग के दो अधिकारी भी जांच के घेरे में हैं।
पुख्ता सुबूत जुटाए जाने के बाद इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। डीसीपी आरएस गौतम ने बताया कि फर्जी शिक्षकों के मामले की जांच के लिए एसीपी कर्नलगंज महेश कुमार की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया गया था। इसमें सर्विलांस, क्राइम ब्रांच टीम के अलावा कर्नलगंज व ग्वालटोली थाना प्रभारियों को शामिल किया।
जांच के दौरान सर्विलांस सेल सेंट्रल ने फर्जी ईमेल आईडी को ट्रेस किया, तो पता चला कि ईमेल आईडी को माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सेवानिवृत लिपिक लाल सिंह के कहने पर संविदा पर तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर विवेक द्विवेदी और शिवम कुमार विश्वकर्मा ने बनाया था। विवेक द्दिवेदी प्रयागराज के झुखरी नवाबगंज और शिवम व लालजी झूंसी के रहने वाले है।
आरोपियों के पास से पांच मोबाइल और 11500 रुपये मिले
लाल सिंह ने ही डीआईओएस कानपुर नगर की ऑफिशियल ईमेल पर फर्जी शिक्षकों के नाम के पैनल को मेल करने के लिए कहा था। इस काम के लिए विवेक और शिवम को दो लाख रुपये मिले थे। इस मामले में मिर्जापुर के काशी प्रसाद जायसवाल जूनियर हाईस्कूल लाल डिग्गी के मैनेजर दिनेश पांडेय और केवीपीजी डिग्री कालेज मिर्जापुर के लैब टेक्नीशियन अभिनव त्रिपाठी को भी गिरफ्तार किया गया। पांचों आरोपियों के पास से पांच मोबाइल और 11500 रुपये नकद मिले है। शुक्रवार को सभी आरोपियों को पुलिस कोर्ट में पेश करेगी।
रिक्त पदों की जानकारी लेने कानपुर आए थे आरोपी
एडी माध्यमिक शिक्षा की फर्जी ईमेल आईडी बनाकर डीआईओएस को फर्जी शिक्षकों की भर्ती के लिए नाम का पैनल भेजने वाले गैंग के सदस्य रिक्त पदों की जानकारी लेने बीते साल जुलाई में डीआईओएस कार्यालय भी आए थे। कई स्कूलों के प्रबंधकों और मैनेजरों से भी मिले थे। पुलिस ने मिर्जापुर के काशी प्रसाद जायसवाल जूनियर हाईस्कूल लाल डिग्गी के मैनेजर दिनेश पांडेय, केवीपीजी डिग्री कॉलेज मिर्जापुर के लैब टेक्नीशियन अभिनव को गिरफ्तार किया है। दोनों को पुलिस शिक्षा माफिया मान रही है।
आरोपी अभ्यर्थी के वेतन तक दिलाने तक का ठेका लेते थे
सूत्रों के मुताबिक आरोपियों की सेटिंग माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड कार्यालय से जिला विद्यालय निरीक्षक कानपुर कार्यालय तक थी। जुलाई 2023 में ये दोनों आरोपी डीआईओएस कार्यालय में रिक्त पदों के बारे में जानकारी करने आए थे। फिर 26 अक्तूबर 2023 को जब ई-मेल प्रयागराज स्थित माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड कार्यालय से जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय भेजा गया, तब भी वहां ये आरोपी मौजूद थे। इसका पता आरोपियों की मोबाइल लोकेशन से चला है। आरोपी अभ्यर्थी के वेतन तक दिलाने तक का ठेका लेते थे।
एसआईटी मामले की जांच व विवेचना सीबीआई की तर्ज पर कर रही है। आरोपियों के बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग और साक्ष्यों व सबूतों को रिकार्ड किया जा रहा है। मामले में पुलिस किसी भी तरह की चूक नहीं करना चाहती है। – आरएस गौतम, डीसीपी सेंट्रल
50 लाख से ज्यादा लेनदेन की व्हाट्सएप चैट मिली
पुलिस सूत्रों के मुताबिक आरोपियों ने प्रति अभ्यर्थी से नौकरी लगवाने के नाम पर मोटी रकम ली है जो लाखों में है। जांच में 50 लाख से ज्यादा की व्हाट्सएप चैट मिली है। सूत्रों का कहना है कि आरोपियों के बैंक खातों को भी फ्रीज करा दिया गया है, ताकि खातों से लेनदेन न हो सके। इनके खातों में मोटी रकम अभी जमा है।
दो अधिकारी व कई कर्मचारी रडार पर
पुलिस की ओर से डीआईओएस ऑफिस में की गई जांच में दो बड़े अफसरों व कई कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। ये अफसर व कर्मचारी अभी पुलिस के रडार पर हैं। इनके खिलाफ पुलिस साक्ष्य जुटा रही है।
अभी और होंगी गिरफ्तारियां
मामले का सरगना लालजी सिंह है। इसके अलावा अन्य जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, वह अपराध में शामिल है। पुलिस का कहना है कि मामले में अभी पांच से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है।
चार आरोपियों को हाईकोर्ट से मिला अरेस्ट स्टे
मामले में एफआईआर से पहले से ही नौकरी पाई विनीता ने कॉलेज आना बंद कर दिया और रिक्षा ने इस्तीफा दे दिया था। चर्चा है कि विनीता ने वेतन के रूप में लिए गए 2.59 लाख रुपये को टेजरी के खाते में जमा कर दिए थे। मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में डीआईओएस ऑफिस के प्रधान सहायक राजन टंडन और वरिष्ठ सहायक सुनील को निलंबित किया जा चुका है। पुलिस के मुताबिक, मामले में आरोपी आशीष कुमार पांडेय, विनीता देवी, रिक्षा पांडेय और अरविंद सिंह यादव को हाईकोर्ट से अरेस्ट स्टे मिल गया है। बाकी आरोपियों की तलाश में पुलिस जुटी है।
इन सवालों के जवाब हैं बाकी
विभागीय के लोगों को क्लीनचिट या उनकी भी भूमिका संदिग्ध।
फर्जी ईमेल को क्यों नहीं पहचान पाए डीआईओएस ऑफिस के अफसर और कर्मचारी।
फर्जी नियुक्ति के लिए कानपुर के स्कूलों को ही क्यों चुना गया।
नियुक्ति और ज्वाइनिंग से पहले सत्यापन क्यों नहीं कराया गया।
ये है मामला
डीसीपी सेंट्रल आरएस गौतम ने बताया कि फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाला मामला 26 अक्टूबर 2023 को सामने आया था। इसमें माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की फर्जी ई-मेल से नौ अभ्यर्थियों के प्रवक्ता पद पर चयन का मेल आया था। इस आधार पर इन्हें विभिन्न कालेजों में नियुक्त किया गया। इनमें विनीता व रिक्षा पांडेय भी थीं।
अप्रैल 2024 को मामले में दर्ज हुई थी रिपोर्ट
विनीता का वेतन भी उनके खाते में आने लगा था। इसी दौरान एक शिकायती पत्र पर मामले की जांच हुई। ज्वाइंट डायरेक्टर माध्यमिक शिक्षा ने डीआईओएस प्रथम से सत्यापन कराया, जिसमें प्रवक्ताओं की भर्ती का पैनल फर्जी पाया गया। जिला विद्यालय निरीक्षक की तहरीर पर 29 अप्रैल 2024 को कर्नलगंज थाने में इस मामले में रिपोर्ट दर्ज हुई।