एक्सक्लूसिव: पांच साल में लगे 1.14 करोड़ पौधे, पनपे या सूखे…पता ही नहीं
पर्यावरण सुधारने और प्रदूषण कम करने के नाम पर पिछले पांच सालों में 1.14 करोड़ पौधे लगाए गए। ये पौधे पनपे या सूख गए, इसकी सुध किसी ने नहीं ली। 2019 के बाद से सर्वे ही नहीं हुआ। इस बार बारिश से पहले फिर 42.87 लाख पौधे लगाए जाने का लक्ष्य है। बता दें कानपुर का भौगोलिक क्षेत्रफल 3155 वर्ग किमी है। भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाली क्षेत्र केवल 2.11 प्रतिशत है।
कब कितने पौधे लगाए गए
वित्तीय वर्ष पौधे
2018-19 13.75 लाख
2019-20 28 लाख
2020-21 35 लाख
2022-23 39.92 लाख
2023-24 31 लाख
चौबेपुर, बिधनू में लगाए गए 1900 पौधे सूखे
मनरेगा विभाग ने पिछले साल चौबेपुर के रौतापुर गांव में करीब 400 पौधे लगाए थे, लेकिन एक भी पौधा नहीं बचा। इसी तरह बिधनू ब्लॉक के सेन पश्चिम पारा के ऊसर में 1500 पौधे लगाए गए, जो सूख गए। कमोवेश यही स्थिति अन्य क्षेत्रों की भी रही।
2021 के बाद पौधरोपण करने का लक्ष्य बढ़ा
पर्यावरण सुधारने और प्रदूषण रोकने के लिए वर्ष वर्ष 2018 से 2021 तक 43 लाख पौधे लगाए थे। इसके बाद वर्ष 2022 में करीब 40 लाख पौधे लगाए गए। इसके बाद पौधरोपण का लक्ष्य बढ़ता गया। बावजूद जिले में हरियाली बढ़ नहीं सकी।
पौधरोपण में खर्च होते करीब दो करोड़ रुपये
प्रतिवर्ग मीटर में तीन से पांच पौधे लगाए जाते हैं। रोपे गए पौधों की लंबाई 60 से 80 सेमी तक होती है। एक पौधे की कीमत चार से 20 रुपये तक होती हैं। ऐसे में सालाना दो करोड़ से अधिक रुपये पौधरोपण में खर्च होते हैं।
पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर होगा पौधरोपण
जिला वन अधिकारी दिव्या ने बताया कि पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर पौधरोपण किया जाएगा। शिवराजपुर से शिवली, शिवराजपुर से भौसाना, चौबेपुर से बिठूर की सड़कें चिह्नित कर ली गई हैं। दो हजार से अधिक पौधे लगेंगे।
जहां मेट्रो ने काटे पौधे, वहीं लगेंगे
जिला वन अधिकारी ने बताया कि मेट्रो ने जो पौधे काटे थे, उनके बदले दो करोड़ रुपये विभाग ने लिए हैं। अब विभाग अलग-अलग स्थानों पर पौधरोपण कराएगा। इसके लिए तैयारी की जारी रही है। जुलाई से जहां मेट्रो का काम पूरा हो गया है, वहां पर सड़क के दोनों तरफ पौधरोपण किया जाएगा।
वन विभाग पूरी जिम्मेदारी से पौधरोपण कराता है। इसके बाद उनकी देखरेख करने की जिम्मेदारी संबंधित विभागों की होती है। उनकी लापरवाही में पौधे सूख जाते हैं। इसके लिए जिम्मेदारों और जनता को ही पौधों को बचाने के लिए जागरूक होना पड़ेगा। सर्वे भारतीय सर्वेक्षण विभाग नामित एजेंसी से कराता है। अभी तक क्यों नहीं हुआ, इसके बारे में जानकारी नहीं है। -दिव्या, जिला वन अधिकारी