कानपुर: तपिश से फेल हो रहा दिमाग का गर्मी नियंत्रण सिस्टम, शरीर पर पड़ रहा विपरीत असर

तापमान के लगातार 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहने पर लोगों के मस्तिष्क का गर्मी नियंत्रण सिस्टम फेल हो रहा है। बाहर माहौल की गर्मी और शरीर के अंदर के ताप में तालमेल न बैठ पाने के कारण लोगों को तेज बुखार आ रहा है। रोगी अस्पतालों की ओपीडी और इमरजेंसी में आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी स्थिति अधिक देर तक रहने पर शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बिगड़ जाता है और लिवर और मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है।

हैलट की मेडिसिन विभाग की ओपीडी में आने वाले कुल रोगियों में तेज बुखार के रोगियों की संख्या 30 फीसदी है और उर्सला में 20 फीसदी रोगी बुखार के आ रहे हैं। तेज बुखार के रोगियों की हालत बिगड़ने पर इमरजेंसी में भर्ती किया जाता है। ओपीडी में आए रोगियों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व मेडिसिन विभागाध्यक्ष और सीनियर फिजीशियन प्रोफेसर (डॉ.) संतोष कुमार ने बताया कि लगातार गर्मी बने रहने से मस्तिष्क का गर्मी नियंत्रण सिस्टम फेल हो जाता है। इसके फेल होते ही शरीर का तापमान बढ़ने लगता है।

उन्होंने बताया कि मस्तिष्क के जिस क्षेत्र में हीट रेग्यूलेटरी सिस्टम होता है, उसी क्षेत्र से इंडोक्राइन हारमोंस का रिसाव भी होता है। यह स्थिति आने पर रोगी के शरीर में पानी और नमक घट जाता है। डायरिया, गैस्ट्रोइंटाइटिस और उल्टी-दस्त के लक्षण आ जाते हैं। शरीर में पानी घटने से गुर्दों, लिवर, हृदय पर बुरा असर आता है। डॉ. कुमार ने बताया का शरीर का अधिक तापमान होने पर रोगी को तुरंत ठंडी जगह या एयर कंडीशन में ले जाएं। इससे शरीर का ताप नियंत्रित होगा। साथ ही तुरंत डॉक्टर से स्वास्थ्य परीक्षण कराएं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के संचारी रोग नोडल अधिकारी डॉ. बीपी प्रियदर्शी ने बताया कि इस मौसम में गर्मी लगने के रोगी ओपीडी में आ रहे हैं।

ऐसे काम करता है शरीर के अंदर का सिस्टम
मस्तिष्क के अगले हिस्से में हाइपोथैलेमस से शरीर का तापमान नियंत्रित होता है। यह शरीर के ताप की जांच कर इसकी बाहर के तापमान से तुलना करता है। अंदर का तापमान कम होने पर यह और गर्मी पैदा करने के लिए शरीर को निर्देश देता है। बाहर के तापमान से तालमेल बैठाने की इस प्रक्रिया में सिस्टम फेल हो जाता है और शरीर का तापमान एकदम से बढ़ने लगता है। शरीर का तापमान अधिक होने पर शरीर के मेटाबोलिज्म पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। विभिन्न प्रकार के रसायन रिसते हैं, जिनसे शरीर को नुकसान होता है।

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