यूपी में बिजली संकट: एक के बाद एक कई इकाइयां हुईं ठप
प्रदेश में एक के बाद एक बिजली उत्पादन इकाइयां ठप हो रही हैं। तीन दिन पहले ठप हुई ओबरा समेत चार इकाईयों में से अभी तक सिर्फ एक ही इकाई शुरू हो पाई। वहीं, शुक्रवार को 500 मेगावाट की अनपरा की एक इकाई और ठप हो गई। इस तरह प्रदेश में 2020 मेगावाट बिजली का उत्पादन कम हो गया है।
गर्मी बढ़ते ही प्रदेश में बिजली की समस्या शुरू हो गई है। शुक्रवार को पीक ऑवर में अधिकतम मांग 28,336 मेगावाट रही। इतना ही नहीं इस दिन की अधिकतम खपत देखी जाए तो अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 60.60 अरब यूनिट पहुंच गई है। पिछले साल एक दिन की अधिकतम खपत 58.80 अरब यूनिट थी।
प्रदेश में एक तरफ बिजली की लगातार मांग बढ़ रही है, तो दूसरी तरफ उत्पादन इकाइयां ठप हो रही हैं। 18 से 22 मई के बीच ठप हुई चार इकाइयों के शुक्रवार तक शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन सिर्फ ऊंचाहार की 210 मेगावाट की एक इकाई शुरू हो पाई है। जबकि ललितपुर की 660, ललितपुर-2 की 660, अनपरा की 500 व ओबरा की 200 मेगावाट की इकाइयां अभी बंद हैं।
प्रदेश में विद्युत उत्पादन निगम की ओबरा व अनपरा की इकाई ठप होने का ज्यादा असर है, क्योंकि इन दोनों इकाइयों से पैदा होने वाली बिजली शत प्रतिशत प्रदेश के उपभोक्ताओं को मिलती है। इन इकाइयों के बॉयलर में वाल्व लीकेज बताया जा रहा है। इसे दुरुस्त करने के लिए विभिन्न स्थानों की अतिरिक्त टीमें भी भेजी गई हैं। उम्मीद है कि शनिवार शाम तक यह शुरू हो जाएंगी।
हर स्तर पर बरती जा रही सावधानी
पावर काॅरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने कहा कि उपभोक्ताओं को समुचित बिजली मिलती रहे, इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जहां तकनीकी कारणों से उत्पादन प्रभावित हुआ है, उसे भी दुरुस्त कराया जा रहा है। बिजली पर्याप्त है, उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत नहीं होगी। दो जून तक अपरिहार्य कारणों को छोड़कर शटडाउन से बचने का निर्देश है। स्थानीय फाॅल्ट को ठीक करने के लिए पर्याप्त गैंग, ट्राॅली ट्रांसफार्मर आदि सामग्री की व्यवस्था करने के भी निर्देश हैं। ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त न हो इसके लिए सावधानी बरतने, सुरक्षा व आवश्यक अनुरक्षण कार्य कराने के भी निर्देश दिए गए हैं।
32 हजार मेगावाट की रखनी होगी तैयारी
अभियंता संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर का कहना है कि इस वर्ष एक दिन में 60.60 अरब यूनिट की आपूर्ति की गई है। पीक डिमांड 28 हजार मेगावाट से अधिक हो गई है। भविष्य में यह 32 हजार मेगावाट से अधिक हो सकती है। ऐसे में ऊर्जा निगम प्रबंधन के साथ-साथ उत्पादन निगम, ट्रांसमिशन व वितरण निगमों में कार्यरत सभी अभियंताओं को अभी से तत्पर रहना होगा।