‘संकीर्ण नजरिया छोड़ना चाहिए…’, चाबहार डील पर अमेरिका की चेतावनी के बाद जयशंकर की खरी-खरी

भारत और ईरान की कंपनियों के बीच कुछ दिनों पहले चाबहार पोर्ट के एक हिस्से के सह-प्रबंधन को लेकर समझौता हुआ है। इस समझौते से भारत ईरान और कई देशों को फायदा मिलेगा। हालांकि, कई देशों के इस समझौते से मिर्ची लगी है।

पिछले कई सालों से अमेरिका और ईरान के बीच तनाव का माहौल है। अमेरिका ने साफ तौर पर कहा है कि जो भी देश ईरान के साथ समझौता करेगा उसपर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका को दिया जवाब
चाबाहार पोर्ट पर हुए समझौते के कुछ घंटों के बाद ही अमेरिका ने भारत का नाम लिए बिना कहा कि जो देश ईरान के साथ द्विपक्षीय समझौता करता है उसपर हम पाबंदियां लगा सकते हैं। अमेरिका के इस धमकी पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जवाब दिया है।

मंगलवार रात कोलकाता में अपनी किताब ‘Why Bharat Matters’ के बांग्ला संस्करण के लॉन्च के दौरान इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि चाबहार बंदरगाह पर हुए समझौते पर लोगों को अपना संकीर्ण नजरिया छोड़ना चाहिए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चाबहार बंदरगाह से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा और इसके बारे में संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं अपनाया जाना चाहिए।

अमेरिका ने भी किया चाबहार की व्यापक प्रासंगिकता का जिक्र
एस जयशंकर ने आगे कहा,”हमारा चाबहार बंदरगाह के साथ एक लंबा जुड़ाव था, लेकिन हम कभी भी दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर नहीं कर सके। इसका कारण यह था कि विभिन्न समस्याएं थीं… अंत में, हम इसे सुलझाने में सक्षम रहे और हम दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर करने में सक्षम रहे। समझौता हो गया। एक दीर्घकालिक समझौता आवश्यक है क्योंकि इसके बिना हम बंदरगाह संचालन में सुधार नहीं कर सकते हैं और हमारा मानना है कि बंदरगाह संचालन से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा।”

उन्होंने आगे कहा, “यदि आप अतीत में चाबहार के प्रति अमेरिका के अपने रवैये को भी देखें, तो अमेरिका इस तथ्य की सराहना करता रहा है कि चाबहार की व्यापक प्रासंगिकता है। हम इस पर काम करेंगे।”

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