तीन साल खराब पड़़ी है मशीन, भटक रहे मरीज

कैथल। जिला नागरिक अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम होने से यहां पहुंचने वाले मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता है। तीन साल इंतजार के बाद भी खराब पड़ी लिथोट्रिप्सी का भी इलाज नहीं हो सका है। ऐसे में मरीजों को सरकारी अस्पताल में आने के बाद निजी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचना पड़ता है।

जिला नागरिक अस्पताल में मशीनों का भी अभाव है। ऐसे में अस्पताल में बिना मशीनों के मरीजों का कैसे इलाज हो पाएगा। इस समय फ्रांस से मंगवाई गई पथरी के ऑपरेशन के लिए आई करोड़ों रुपये की लिथोट्रिप्सी मशीन तीन साल बाद भी ठीक नहीं हो पाई है। यह मशीन वर्ष 2020 में चूहों के कुतरने से खराब हो गई थी। इस कारण मरीजों को निजी अस्पतालों में अधिक रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।

एक तरफ जहां सरकारी अस्पताल में बिना ऑपरेशन किए लेजर तकनीक से इस मशीन के माध्यम से निशुल्क इलाज हो जाता था। वहीं, पिछले तीन साल से खराब पड़ी इस मशीन के ठीक न होने से उन्हें निजी अस्पतालों में 20 से 25 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।

इसके साथ ही अस्पताल में मरीजों की संख्या के अनुसार सीबीसी मशीन का अभाव होने से भी मरीजों को परेशानी होती है। इस समस्या का समाधान नहीं होने से अपने खून की जांच के लिए भी भटकते हैं। बता दें कि कुछ महीने पहले लैब में स्टाफ की कमी थी और उस समय मशीनें पूरी थी। परंतु अब मशीनें पूरी नहीं और स्टाफ पूरा है। वहीं, पथरी का बिना ऑपरेशन के इलाज में प्रयोग होने वाली लिथोट्रिप्सी मशीन ठीक नहीं हो सकती है। क्योंकि इस मशीन को एक पार्ट पूरी तरह से खराब हो चुका है। जो मिल नहीं पाया है। इस कारण यह मशीन अब ठीक नहीं हो पाएगी। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने इस मशीन को ठीक करने के एक अन्य कंपनी से बातचीत की, लेकिन उस कंपनी ने भी हाथ खड़े कर दिए।

लेजर तकनीक का प्रयोग

लिथोट्रिप्सी में किडनी की पथरी को तोड़ने के लिए लेजर तकनीक का उपयोग किया जाता है। इस मशीन से 30 एमएम तक की पथरी को निकाला जा सकता है।
पथरी की बीमारी थी। करीब छह महीने पहले ही इलाज शुरू किया। तब चिकित्सकों ने आश्वासन दिया कि मशीन ठीक होने के बाद पथरी निकाल दी जाएगी, लेकिन वह ठीक नहीं हो सकी है। एक निजी अस्पताल में पथरी निकलवाई। उस दौरान अस्पताल से केवल दवा ही ली। – रवि कुमार

पथरी के ऑपरेशन के लिए आई मशीन को ठीक करवाने का आला अधिकारियों की ओर से प्रयास किया गया था, लेकिन मशीन का खराब हुआ पार्ट न मिलने के कारण यह ठीक नहीं हो पाई है। इसके लिए आला अधिकारियों की ओर से निदेशालय में पत्राचार किया जा रहा है। उम्मीद है कि इसमें कुछ समाधान का रास्ता निकल जाए। यदि ऐसा होता है तो मरीजों को राहत मिलेगी और उनकी परेशानी कम होगी। – डॉ. सचिन मांडले, जिला प्रधान चिकित्सा अधिकारी, जिला नागरिक अस्पताल, कैथल।

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