लोकसभा चुनाव: दिल्ली में गति पकड़ने लगा ऑफलाइन अभियान

लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए आभासी दुनिया ने पांव जमा लिए हैं। पार्टियों के लिए यह पसंदीदा मंच भी बना है, लेकिन अभी भी चुनाव प्रचार के पुराने फॉर्मूले इस्तेमाल किए जा रहे हैं। पोस्टर-बैनर समेत कई तरह की प्रचार सामग्रियां गली-गली में नजर आ रही हैं। चुनाव के परवान पर चढ़ने के साथ ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन अभियान ने भी जोर पकड़ लिया है। मतदाताओं तक पहुंचने के लिए प्रत्याशी हर माध्यम का इस्तेमाल कर रहे हैं।

दरअसल, लोकसभा सीटों पर मुकाबले के लिए सभी प्रत्याशी पूरी तरह से तैयार हैं। उनके सोशल मीडिया पर धड़ाधड़ पेज बन रहे हैं, जिन पर पोस्ट, फोटो और वीडियो जारी किए जा रहे हैं। इसके बीच अब ऑफलाइन प्रचार अभियान ने भी जोड़ पकड़ लिया है। प्रत्याशी जनसंपर्क के पुराने फॉर्मूले पर भी काम कर रहे हैं। सदर बाजार में चुनाव प्रचार सामग्री तैयार करने और बेचने वाले कारोबारी ने बताया कि प्रत्याशी अपनी पार्टी के झंडे वाली टीशर्ट व टोपियों पर निशान लगवाकर युवाओं में बांटने के लिए मंगवा रहे हैं। कम खर्चे में तैयार सामग्री पहनकर कार्यकर्ता रैली में जाते हैं तो माहौल पार्टी के रंग में रंगा नजर आता है। सोशल मीडिया की तुलना में यह प्रचार सामग्री सामाजिक जुड़ाव ज्यादा बढ़ाती है। कहीं न कहीं मतदाताओं तक प्रत्याशी की पहुंच दोगुनी हो जाती।

ऑर्डर बढ़े, दुकानदारों की कमाई
प्रत्याशियों की मांग पर दीवारों पर चस्पा किए जाने पोस्टर और बैनर तैयार करने का काम जोरों पर चल रहा है। प्रिंटिंग से ताल्लुक रखने वाली दुकानों-गलियों में इन दिनों रौनक भी है और काम भी। कई प्रेस में इन दिनों पार्टियों के निशान वाली प्रचार सामग्री दिख जाएगी। स्थानीय लोगों का कहना है कि कागज, कपड़ा और प्लास्टिक पर तैयार हो रही यह सामग्री लोगों की पुरानी यादें ताजा कर रही हैं। ऐसे ही निशान लगे बिल्ले बच्चों की शर्ट पर दिखते थे। नई प्रचार सामग्री भी लगभग उसी तर्ज पर तैयार हो रही है। हाथ, कमल व झाड़ृ छपे कपड़े व सामान हर दुकान पर दिख जाएंगे। प्रचार सामग्री बेचने वाले दुकानदारों के पास ऑर्डर बढ़ने से अच्छी कमाई हो रही है।

लाउडस्पीकर के लिए पहली पसंद ई-रिक्शा
प्रत्याशियों की ओर से गली-मोहल्ले में माहौल बनाने के लिए ई-रिक्शा और ऑटो को किराये पर लिया जा रहा है। इन पर लगे लाउडस्पीकर लोगों से व्यक्तिगत संपर्क कर रहे हैं। वहीं, ऑटो चालकों का मानना है कि ई-रिक्शा की वजह से ऑटो को बुक करने की तादाद में कमी हुई है। उनका मानना है कि अमूमन ई-रिक्शा ऑटो से कम मूल्य में बुक हो जाते हैं, इसलिए कम खर्चे में प्रचार के लिए ई-रिक्शा की मांग बढ़ी है।

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