रामनाम की पूंजी वाले बैंक को गिनीज बुक में दर्ज कराने की तैयारी, 1970 में शुरू हुआ था बैंक
रामनाम की पूंजी वाले अयोध्या के अनोखे बैंक को अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की कवायद शुरू की गई है। यह अनोखा इसलिए है क्योंकि इस बैंक में धन-दौलत नहीं, बल्कि राम नाम की पूंजी जमा होती है।
अंतरराष्ट्रीय श्री सीतारामनाम बैंक की स्थापना 54 साल पहले वर्ष 1970 में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने की थी। रामभक्त अपना खाता खुलवाने के बाद यहां से मिलने वाली कॉपी में सीताराम लिखकर जमा करते हैं। इसकी बाकायदा पासबुक में एंट्री की जाती है।
बैंक के प्रबंधक पुनीत रामदास का दावा है कि एशिया में यह सबसे बड़ा रामनाम बैंक है। बैंक में 35 हजार से अधिक खाते हैं और इसकी विदेश में भी 136 शाखाएं हैं। यहां जो पासबुक दी जाती है, उनमें सभी पृष्ठों पर सीताराम लिखा हुआ है।
बैंक में भक्तों की ओर से दान की गई 20 हजार करोड़ सीताराम लिखी पुस्तिकाओं का संकलन है। यूं कहें कि बैंक में 20 हजार करोड़ राम नाम की पूंजी जमा है। इन खासियतों की वजह से मणिराम दास छावनी ट्रस्ट की ओर से बैंक का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज कराने के लिए आवेदन किया गया है।
पुनीत रामदास ने बताया कि बैंक की ओर से मुफ्त पुस्तिका और लाल पेन दिया जाता है। प्रत्येक खाते का हिसाब भी रखा जाता है। बैंक में खाता खोलने के लिए कम से कम पांच लाख बार सीताराम लिखना पड़ता है। फिर एक पासबुक जारी की जाती है। खाताधारक डाक से भी पुस्तिकाएं भेजते हैं, जिसका बही-खाता बैंक में सुरक्षित रखा जाता है।