दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे पर एलिवेटेड रोड…20 हेक्टेयर जमीन ने रोका 12 किमी. लंबा बाईपास

दिल्ली-देहरादून ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे पर बन रहा एलिवेटेड रोड मई अंत तक शुरू हो जाएगा, लेकिन अभी एक्सप्रेस-वे से प्रवेश करने वाले वाहनों को शहर के बाहर से निकालने के लिए प्रस्तावित बाईपास का निर्माण नहीं शुरू हो पाया है। 20 हेक्टेयर जमीन का टुकड़ा बाईपास निर्माण में अवरोध बन गया है।
आशारोड़ी में एलिवेटेड रोड जहां समाप्त होगा, वहां से बड़ोवाला होकर झाझरा तक नया फोरलेन बाईपास बनना है। बाईपास वन विभाग के ग्रीन लैंड से होकर गुजरेगा। इसके बदले एनएचएआई को 20 हेक्टेयर जमीन वन विभाग के सुपुर्द करनी होगी। इसमें एनएचएआई पौधारोपण कर जंगल तैयार करेगा।
एनएचएआई को यह 20 हेक्टेयर जमीन नहीं मिल पा रही है। इस वजह से बाईपास निर्माण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है। ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे चालू होने के बाद दून में आने वाले वाहनों की संख्या बढ़ेगी। बाईपास नहीं होने से पूरा यातायात शहर के अंदर से गुजरेगा। पहले ही जाम की समस्या से जूझ रहे शहर के लिए यातायात व्यवस्था बड़ी चुनौती बनेगी।
किसानों की निजी भूमि अधिग्रहित की गई
एनएचएआई 715.97 करोड़ रुपये की लागत से आशारोड़ी-झाझरा फोरलेन बाईपास बना रहा है। 12.17 किमी लंबे इस मार्ग से विकासनगर, पांवटा साहिब को जाने वाले वाहन बाहर से ही निकल जाएंगे। इसके लिए करीब छह गांवों की 44.76 हेक्टेयर निजी और सरकारी भूमि अधिग्रहित की जानी है। गांवों में किसानों की निजी भूमि को अधिग्रहित कर लिया गया है, लेकिन एनएचएआई को वन विभाग से क्लीयरेंस नहीं मिल पा रहा है।
50 प्रतिशत हिस्सा जंगल से होकर गुजरेगाबाईपास आशारोड़ी में आरटीओ चेकपोस्ट के पास से शुरू होगा। आशारोड़ी-झाझरा के बीच बाईपास निर्माण में जितनी भूमि आवश्यक है, उसका 50 प्रतिशत हिस्सा जंगल से होकर गुजरेगा। परियोजना के निर्माण का जिम्मा राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, देहरादून को सौंपा गया है। इसके बनने से झाझरा, शिमला बाईपास रोड तथा प्रेमनगर क्षेत्र को भी लाभ मिलेगा।
जमीन की तलाश की जा रही है, उपयुक्त जमीन मिलते ही उसमें पौधारोपण कराकर वन विभाग को सौंपा जाएगा। -पीके मौर्या, परियोजना निदेशक, एनएचएआई