कानपुर में डीपफेक एआई से पहली बार ठगी
हैलो फूफा! मुझे किसी भी तरह बचा लो, जो भी पैसे लगेंगे, वह मैं आपको कुछ देर में ट्रांसफर कर दूंगा। शहर के एक सब्जी विक्रेता को साइबर ठगों ने डीपफेक एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से व्हाट्सएप कॉल कर भतीजे की ही आवाज में बात कराकर एक लाख रुपये ठग लिए।
दरोगा बन उन्हें धमकी दी थी कि आपका भतीजा दुष्कर्म व हत्या के मामले में पकड़ा गया है, दो लाख दो तो छोड़ देंगे। पीड़ित ने जब अपने साले को फोन किया तो मामले का खुलासा हुआ। पुलिस ने केस दर्ज कर साइबर सेल की मदद से जांच शुरू कर दी है।
पनकी रतनपुर निवासी दिनेश सिंह गुमटी बंबा रोड पर सब्जी की दुकान लगाते हैं। उन्होंने बताया कि 27 मार्च को व्हाट्सएप पर गुरुग्राम में रहने वाले उनके साले के बेटे मनोज की आवाज वाले व्यक्ति से साइबर ठगों ने बात कराई। बताया कि वह कानपुर आ रहा था, लेकिन रास्ते में पुलिस ने पकड़ लिया।
कहा- एक युवती की दुष्कर्म के बाद हत्या हुई है
चूंकि आवाज भतीजे की आवाज से मिलती जुलती थी, इसलिए उन्हें यकीन हो गया। इस बीच दूसरे युवक ने फोन लेते हुए परिचय दरोगा विजय के रूप में दिया। कहा कि सचेंडी इलाके में एक युवती की दुष्कर्म के बाद हत्या हुई है। चार लोग पकड़े गए हैं और आपके भतीजे का भी नाम है।
बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए 60 हजार
बचने के लिए दो लाख रुपये दे दो। दिनेश ने हड़बड़ाहट में 60 हजार रुपये बताए गए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद आसपास के दुकानदारों से उधार लेकर 40 हजार रुपये दूसरे बैंक खाते में ट्रांसफर किए। फिर एक वाइस नोट भेजकर साइबर ठगों ने एक लाख रुपये और मांगे गए, तो दिनेश ने आसपास के दुकानदारों को पूरी घटना बताई।
पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा में केस दर्ज किया
दुकानदारों के कहने पर दिनेश ने गुरुग्राम में रहने वाले साले को फोन किया, तो साइबर ठगी का पता चला। इसके बाद उसने पुलिस से संपर्क किया। स्वरूपनगर पुलिस ने धोखाधड़ी व डीपफेक एआई के इस्तेमाल पर आईटी एक्ट की धारा में केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
व्हाट्सएप डीपी में लगा रखी थी वर्दी वाले व्यक्ति की फोटो
दिनेश ने बताया कि जिस व्हाट्सएप नंबर से कॉल, मैसेज और फोटो आ रही थी। उसकी डीपी पर वर्दी पहने हुए एक व्यक्ति की फोटो लगी थी। खुद का नाम वह दरोगा विजय बता रहा था और कानपुर के ही सचेंडी थाने में तैनात होने की बात कह रहा था। हालांकि, वारदात के बाद डीपी बदल गई।
क्या है डीपफेक एआई
इंटरनेट पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ऐसे ऑडियो, वीडियो व तस्वीर तैयार की जाती है, जो किसी भी व्यक्ति की हूबहू कॉपी लगता है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से बनने वाले वीडियो और ऑडियो में असली-नकली का अंतर कर पाना मुश्किल होता है। ऐसे कंटेंट को बनाने के लिए कई तरह के सॉफ्टवेयर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दोनों की मदद ली जाती है।
मामला संज्ञान में है। प्रथम दृष्टया मामला डीपफेक एआई से जुड़ा हुआ प्रतीत हो रहा है। टीम जांच में लगी हुई है। इस मामले में साइबर सेल की टीम लगाकर कार्रवाई की जा रही है। -रामसेवक गौतम, डीसीपी सेंट्रल