चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन ‘प्रीति योग’ समेत बन रहे हैं ये 3 शुभ संयोग

चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-उपासना एवं साधना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। कई साधक निर्जला उपवास रखते हैं। वहीं, कई साधक फलाहार व्रत रखते हैं। मां ब्रह्मचारिणी एक हाथ में कमंडल तो दूजे हाथ में माला धारण कर रखी हैं। शास्त्रों में महिमा का वर्णन निम्न श्लोक से किया गया है।

दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलु ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।

धार्मिक मत है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार की बाधा दूर हो जाती है। मां की भक्ति करने वाले साधकों को अनंत फल की प्राप्ति होती है। साथ ही विषम परिस्थिति में भी मन विचलित नहीं होता है। ज्योतिषियों की मानें तो नवरात्र के दूसरे दिन प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में मां की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। आइए, योग के बारे में जानते हैं-

शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि की शुरुआत 09 अप्रैल को शाम 08 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी और 10 अप्रैल को शाम 05 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि 10 अप्रैल को शाम 05 बजकर 32 मिनट तक है। इस दौरान जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की द्वितीय शक्ति मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

योग
ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, बालव और कौलव करण का भी संयोग बन रहा है। प्रीति योग का निर्माण सुबह 10 बजकर 39 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 11 अप्रैल को सुबह 07 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगा। इस योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। वहीं, बालव करण का योग सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक है। इसके बाद कौलव करण का निर्माण हो रहा है, जो संध्याकाल 05 बजकर 32 मिनट तक है।

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 01 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 44 मिनट पर

चन्द्रोदय- सुबह 06 बजकर 51 मिनट पर

चंद्रास्त- शाम 08 बजकर 43 मिनट पर

पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 30 मिनट से 05 बजकर 16 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 21 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 43 मिनट से 07 बजकर 06 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक

अशुभ समय

राहुकाल – दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से 01 बजकर 58 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 10 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 22 मिनट तक

दिशा शूल – उत्तर

Back to top button