डीजीक्यूए भर्ती घोटालाः बर्खास्त क्लर्कों से वसूले जाएंगे सवा करोड़ रुपये
कानपुर में कैंट स्थित नियंत्रणालय गुणता आश्वासन (डीजीक्यूए) के स्टोर्स कॉम्प्लेक्स में नौकरी से बर्खास्त किए गए पांचों आरोपियों से करीब सवा करोड़ रुपये की वसूली की जाएगी। ये लोग 28 जुलाई 2021 को स्टे खत्म होने के बाद भी करीब तीन साल से नौकरी कर रहे थे।
इस दौरान के वेतन, भविष्यनिधि व अन्य लाभों की वसूली की जाएगी। प्रति व्यक्ति 20 लाख रुपये से अधिक की देनदारी बन रही है। इसके अलावा विभाग धोखाधड़ी की भी रिपोर्ट दर्ज कराएगा। वहीं परीक्षा भर्ती बोर्ड के चेयरमैन डॉ. संतोष तिवारी के खिलाफ भी बुधवार से जांच शुरू हो गई।
2016 में डीजीक्यूए में क्लर्कों की भर्ती प्रक्रिया हुई थी। आवेदनों की स्क्रीनिंग के बाद 960 लोगों ने परीक्षा दी थी। परीक्षा परिणाम आने के पहले ही इन पांचों का नाम उजागर हो गया था। इसके बाद में इनको नौकरी भी मिल गई थी। परीक्षा में शामिल अन्य अभ्यर्थियों ने इसकी शिकायत विभाग में की थी।
2018 में कैट इलाहाबाद से ले आए थे स्टे
आरोप लगाया था कि इनके नंबर बढ़ाकर इन्हें नौकरी दी गई है। जांच के बाद इन सभी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि जनवरी 2018 में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) इलाहाबाद से स्टे ले आए थे। यह स्टे 28 जुलाई 2021 तक ही वैध था।
15 मार्च को फिर से बर्खास्त किया गया
इसके बाद भी ये लोग नौकरी करते रहे। मामले का खुलासा होने के बाद 15 मार्च को इन्हें फिर से बर्खास्त किया गया। सभी आरोपियों से वसूली की प्रक्रिया शुरू करने के लिए मुख्यालय से अनुमति मांगी गई है। इसके अलावा स्टे लेने से पहले जितने समय नौकरी की, उस दौरान की भी वसूली पर विचार किया जा रहा है।
इनसे होगी वसूली
कैंट निवासी रविकांत पांडेय, केडीए कॉलोनी निवासी आरती गुप्ता, श्यामनगर निवासी प्रतिभा मिश्रा, आरकेनगर निवासी अर्पित सिंह फैजाबाद निवासी उत्कर्ष श्रीवास्तव।