डीजीक्यूए भर्ती घोटाला: स्टे खत्म होने के बाद भी कर रहे थे नौकरी, पांच बाबू बर्खास्त…
कानपुर में स्टे खत्म होने के बाद भी कैंट स्थित नियंत्रणालय गुणता आश्वासन (डीजीक्यूए) कॉम्प्लेक्स में करीब तीन साल से नौकरी कर रहे पांच बाबुओं को बर्खास्त कर दिया गया है। सात साल पहले हुई भर्ती में इन लोगों को गलत तरीके से पास कर नौकरी दे दी गई थी। शिकायत के बाद आंतरिक जांच में दोषी पाए जाने पर इन्हें हटा दिया गया था।
इसके बाद ये लोग केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) इलाहाबाद से स्टे (स्थगनादेश) ले आए थे। डीजीक्यूए में 2016 में क्लर्क के पांच पदों पर भर्ती निकाली गई थी। स्क्रीनिंग के बाद 960 लोगों ने परीक्षा दी थी। परिणाम आने से पहले ही इन पांच लोगों के नाम उजागर हो गए थे। आरोप था कि इनके नंबर बढ़ाकर इन्हें पास किया गया और नौकरी दे दी गई। परीक्षा में शामिल कुछ अन्य अभ्यर्थियों ने विभाग में इसकी शिकायत की थी।
आरटीआई में हुआ था खुलासा
आंतरिक जांच के बाद 28 नवंबर 2017 को तीन और आठ दिसंबर 2017 को दो आरोपियों को हटा दिया गया था। इसके बाद पांचों आरोपी तथ्य छिपाकर कैट से जनवरी 2018 में स्टे ले आए थे। यह केवल 28 जुलाई 2021 तक ही वैध था। इसके बाद भी आरोपी नौकरी करते रहे। इसका खुलासा आरटीआई में हुआ था। इसकी एक कॉपी जब कैट भेजी गई तो वहां से विभाग को कार्रवाई का आदेश दिया गया। इसके बाद 15 मार्च को पांचों को बर्खास्त किया गया।
इन्होंने पाई थी फर्जी तरीके से नौकरी
कैंट निवासी रविकांत पांडेय, केडीए कॉलोनी निवासी आरती गुप्ता, श्यामनगर निवासी प्रतिभा मिश्रा, आरकेनगर निवासी अर्पित सिंह, फैजाबाद निवासी उत्कर्ष श्रीवास्तव।
सीबीआई ने भर्ती बोर्ड के चेयरमैन और आरोपियों पर दर्ज कराई थी रिपोर्ट
सीबीआई के अपर पुलिस अधीक्षक राम सिंह ने शिकायत की जांच के बाद 22 दिसंबर 2020 को परीक्षा भर्ती बोर्ड के चेयरमैन डाॅ. संतोष तिवारी के अलावा पांचों आरोपियों और अज्ञात के खिलाफ साजिश रचने, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, धोखाधड़ी करने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। नौ दिसंबर 2021 को सीबीआई एसीबी, लखनऊ ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी।
चेयरमैन को सेवानिवृत्ति से ठीक एक दिन पहले दी गई थी चार्जशीट
सीबीआई लखनऊ कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट खारिज करते हुए सवाल खड़े किए थे। उच्च अफसर से जांच के निर्देश के बाद रक्षा मंत्रालय ने कार्रवाई करते हुए भर्ती बोर्ड के चेयरमैन डॉ. संतोष तिवारी और दो सदस्यों अलीम अंसारी और सुनील कुमार के खिलाफ चार्जशीट दी थी। खास बात यह थी कि चेयरमैन को सेवानिवृत्ति (28 फरवरी 2023) से ठीक एक दिन पहले चार्जशीट दी गई थी।