दत्तात्रेय होसबोले फिर बने आरएसएस के सरकार्यवाह
दत्तात्रेय होसबोले को एक बार फिर आरएसएस का सर कार्यवाह (महासचिव) नियुक्त किया गया है । वो संघ की मार्गदर्शक की भूमिका में रहेंगे। उन्हें 2024 से 2027 की अवधि के लिए इस पद पर फिर से चुना गया है। होसबोले साल 2021 से ही इस पद पर बने हुए हैं।
‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा’ में लिया गया फैसला
आरएसएस की वार्षिक तीन दिवसीय ‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा’ शुक्रवार को नागपुर के रेशिमबाग के स्मृति भवन परिसर में शुरू हुई थी। यह बैठक छह साल बाद आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में हुई। बैठक में आरएसएस से जुड़े विभिन्न संगठनों के 1,500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
समाज में संघ का प्रभाव बढ़ रहा: दत्तात्रेय होसबोले
दत्तात्रेय होसबोले कहते हैं,”संघ लोगों के दिलों में उतर रहा है और समाज में संघ का प्रभाव भी बढ़ रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले ‘अक्षत वितरण’ के दौरान देशभर में जिस तरह से लोगों ने हमारा स्वागत किया, उससे पता चलता है कि देश का वातावरण कैसा है।” राम मंदिर भारत की सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है। श्री राम देश की सभ्यतागत पहचान हैं।
उन्होंने आगे चुनावी बॉन्ड का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने इस विषय (चुनावी बॉन्ड) के बारे में कुछ भी नहीं सोचा है। यहां (प्रतिनिधि सभा में) इस पर चर्चा भी नहीं की गई है।” क्योंकि चुनावी बॉन्ड एक प्रयोग है, ऐसे प्रयोग होते रहते हैं, नियंत्रण और संतुलन होना चाहिए। चुनावी बॉन्ड आज अचानक नहीं आया है, पहले भी आया है, प्रयोग के तौर पर लाया गया है।
दत्तात्रेय होसबोले ने संदेशखाली घटना का किया जिक्र
इस सभा में दत्तात्रेय होसबोलव ने कहा कि स्वतंत्र भारत में संदेशखाली जैसी घटनाएं लोगों को झकझोर देने वाली हैं। यहां जिस तरह से अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति समाज की महिलाओं के साथ घटनाएं हुईं, वह दुखद हैं और उसके दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
इसमें सभी दलों को अपनी राजनीतिक स्वार्थों को छोड़कर महिला सुरक्षा और समाज के इस विषय पर एक मत से ऐसी कार्रवाई करनी चाहिए कि भविष्य में ऐसा करने को कोई सोच नहीं सके।
‘विभाजनकारी ताकतें किसी भी सकारात्मक कार्य से कभी खुश नही होती’
उन्होंने आगे ये भी कहा कि जो शक्तियां भारत, हिंदुत्व या संघ के शत्रु हैं वे समाज में विभेद पैदा करने का प्रयास करते रहते हैं। इसी के तहत सनातन धर्म के बारे में गलत बयानी और दक्षिण के विभेद की बात उठाते रहते हैं।
उन्होंने कहा कि विघटनकारी और विभाजनकारी ताकतें किसी भी सकारात्मक कार्य से कभी खुश नही होती है। सर्वत्र अशांति पैदा करना और राजनीतिक एवं अन्य लाभ उठाना उनका काम है।