सब आंखे मूंदे, कब्जों ने रौंदे हरे-भरे पौधे

garbage-on-the-street_landscape_1457266129एजेन्सी/पूरी दुनिया में हरियाली बचाने की मुहिम छिड़ी है, लेकिन शहर में अफसरों की लापरवाही और नागरिकों की अनदेखी से बची-खुची हरियाली भी खत्म हो रही है। जहां कंक्रीट के जंगल खड़े कर दिए गए हैं, वहां नाम के लिए ग्रीन बेल्ट तो बनाई गई, पर इसका कोई फायदा नहीं। इनमें से अधिकतर में कब्जे हो गए या वेे सूखी पड़ी हैं। नगर निगम, केडीए, आवास विकास के जिम्मेदार अफसर आंखें मूंदे हैं तो ग्रीन बेल्ट के आसपास रहने वाले शहरी भी उदासीन हैं। ‘अमर उजाला’ हरियाली बचाने के लिए एक पहल कर रहा है। इसमें ‘आपका साथ-अपना हाथ जगन्नाथ’ की भावना से अफसरों और शहरियों के भी सहयोग की अपेक्षा है। उम्मीद है कि खुली हवा में सांस लेने देने की इस मुहिम में जिम्मेदार प्रशासनिक अफसर भी हाथ बढ़ाएंगे।\

स्थान- गोपाला चौराहा काकादेव से शन्नेश्वर मंदिर, आवास-विकास रोड तक 630 मीटर लंबी ग्रीनबेल्ट है। नगर निगम ने 3.23 करोड़ रुपये से पिछले महीने इस ग्रीनबेल्ट की बाउंड्री, दोनों तरफ सड़क, नाला, नाली बनवाई। लेकिन इस ग्रीनबेल्ट के अंदर और बाहर अवैध कब्जे होने लगे हैं। नमक फैक्ट्री चौराहे के आस-पास कार गैराजों का कब्जा है। इनका प्रदूषण पेड़-पौधों को बीमार कर रहा है। ग्रीनबेल्ट में बनी तीन झोपड़ियों में शराब पिलाने का भी आरोप है। गैराज की छह खराब कारें भी खड़ी हैं। मीट-मुर्गे की अवैध दुकानों की लाइन लग चुकी है। इनकी गंदगी भी ग्रीनबेल्ट में फेंकी जाती है। पिछले दिनों कमिश्नर ने दौरा करके ये सब अराजकता खत्म करने और ग्रीनबेल्ट संवारने के आदेश दिए थे लेकिन अफसरों ने सुना नहीं।
स्थान- गोपाला चौराहा काकादेव से शन्नेश्वर मंदिर, आवास-विकास रोड तक 630 मीटर लंबी ग्रीनबेल्ट है। नगर निगम ने 3.23 करोड़ रुपये से पिछले महीने इस ग्रीनबेल्ट की बाउंड्री, दोनों तरफ सड़क, नाला, नाली बनवाई। लेकिन इस ग्रीनबेल्ट के अंदर और बाहर अवैध कब्जे होने लगे हैं। नमक फैक्ट्री चौराहे के आस-पास कार गैराजों का कब्जा है। इनका प्रदूषण पेड़-पौधों को बीमार कर रहा है। ग्रीनबेल्ट में बनी तीन झोपड़ियों में शराब पिलाने का भी आरोप है। गैराज की छह खराब कारें भी खड़ी हैं। मीट-मुर्गे की अवैध दुकानों की लाइन लग चुकी है। इनकी गंदगी भी ग्रीनबेल्ट में फेंकी जाती है। पिछले दिनों कमिश्नर ने दौरा करके ये सब अराजकता खत्म करने और ग्रीनबेल्ट संवारने के आदेश दिए थे लेकिन अफसरों ने सुना नहीं।

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