2.5 करोड़ साल से नहीं बदले हैं इन जीवों के जीन, साइंटिस्ट भी अचरज में!

बदलाव प्रकृति का नियम है और जैवविविधता इसकी सबसे बड़ी मिसाल है. वैज्ञानिक मानते हैं कि हर जीव के जीन बदलते रहते हैं और सैकड़ों हजारों सालों में इन बदलावों का साफ तौर पर असर दिखने भी लगता है. पर क्या ऐसा हो सकता है कि किसी प्रजाति के जीन लाखों करोड़ों सालों में भी नहीं बदले हों? जी हां नामुमकिन सी लगने वाली बात वैज्ञानिकों ने एक नहीं कई प्रजातियों में देखी है. उन्होंने पाया है कि पतंगों और तितलियों में करीब 2.5 करोड़ साल से जेनेटिक बदलाव नहीं हुए हैं और उनका पूरा का पूरा जीनोम ही एक सा बना हुआ है.

नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित अध्ययन में यह अनोखा खुलासा हुआ है. इसमें पाया गया है कि तमाम प्रजातियों में लगातार हो रही जैवविविधता के बावजूद तितलियों और पतंगों ने पृथ्वी के इतिहास के दौरान पर्यावरण में होने वाले तमाम बदलाव के रहते यह स्थायित्व कायम रखने का कमाल किया है.

वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के शोधकर्ताओं ने तितलियों और पतंगों के 200 से भी अधिक जीनोम का अध्ययन किया और 32 पूर्वज क्रोमोजोम की पहचान की जो लेपिडोप्टेरा की अधिकांश प्रजातियों के लिए नींव का काम कर रहे थे. स्टडी का मकसद लेपिडोप्टेरा के विकास के लिए जिम्मेदार मूल जेनेटिक विशेषताओं का पता लगाना था.

खुद के अध्ययन के लेखकों ने इस खोज पर बहुत हैरानी जताते हुए बताया कि सारे जीव एक ही सूत्र से जुड़े हुए हैं और वह डीएनए है. जब उन्होंने सभी तितिलियों के जीनों का अध्ययन कर उनके साझा पूर्वज के बारे में पता करने की कोशिश की तो उन्हें पता चला कि सभी का जीनोम समान ही था.

हैरानी की बात यह रही है कि तितलियों जिनमें स्तनपायी जानवरों की तुलना में 16 गुना ज्यादा प्रजातियां हैं, सभी का एक स्थिर अनुवांशिकीय आधार है जो कि बहुत ही हैरान करने वाला है. वे यह जानना चाह रहे थे कि इतने बड़े स्तर पर जैवविविधता कैसे पनपी, कैसे ये सभी प्रजातियों का 10 फीसदी हिस्सा बने और ये दूसरी प्रजातियों से कैसे अलग है जिससे ये इतने सफल रहे. जबकि मजेदार बात यह है कि जहां इंसानों के जीनोम के लाखों हिस्सों के जानकारी हासिल नहीं हो सकी है. तितलियों के सारे जीनोम मिल गए हैं और बदले भी नहीं है!

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