भारतीय खिलाड़ियों ने तीसरे दिन हाथ में क्यों बांधी काली पट्टी ? जानिए
भारतीय टीम के खिलाड़ी शनिवार को राजकोट में हाथ पर काली पट्टी बांधकर मैदान पर उतरे। बीसीसीआई ने खुलासा किया कि भारतीय खिलाड़ियों ने पूर्व कप्तान दत्ताजीराव गायकवाड़ के सम्मान में काली पट्टी बांधी है जिनका कुछ दिन पहले निधन हुआ था। बहरहाल भारतीय टीम के स्टार ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन पारिवारिक कारणों से राजकोट टेस्ट से बाहर हो गए हैं।
भारतीय टीम के खिलाड़ी शनिवार को हाथ में काली पट्टी बांधकर मैदान पर उतरे। बीसीसीआई ने जानकारी दी कि भारतीय खिलाड़ियों ने पूर्व कप्तान दत्ताजीराव गायकवाड़ की याद में काली पट्टी बांधी।
95 वर्षीय दत्ताजीराव गायकवाड़ का हाल ही में निधन हुआ था। अंशूमन गायकवाड़ के पिता दत्ताजीराव ने 1952 से 1961 के बीच 11 टेस्ट में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में वो चार मैचों में भारतीय टीम के कप्तान भी रहे। दाएं हाथ के बल्लेबाज दत्ताजीराव ने 18.42 की औसत से 350 रन बनाए।
दत्ताजीराव गायकवाड़ अपने बेहतरीन डिफेंस और ड्राइव खेलने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन एक शानदार फील्डर के रूप में भी उन्होंने अपनी बेहतरीन पहचान बनाई। 1952 में विजय हजारे की कप्तानी में गायकवाड़ ने डेब्यू किया। यह भारत का आजादी के बाद इंग्लैंड का पहला दौरा था।
दत्ताजीराव गायकवाड़ ने अपने करियर की शुरुआत बतौर ओपनर की, लेकिन फिर वो मिडिल ऑर्डर में जम गए। उन्होंने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच 1961 में चेन्नई में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था। रणजी ट्रॉफी में गायकवाड़ बड़ौदा की जान रहे। उन्होंने 1947 से 1961 तक बड़ौदा का प्रतिनिधित्व किया। गायकवाड़ ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 17 शतक की मदद से 5788 रन बनाए।
दत्ताजीराव गायकवाड़ के नेतृत्व में ही बड़ौदा ने 1957-58 रणजी ट्रॉफी सीजन का खिताब हासिल किया था। तब फाइनल में बड़ौदा ने सर्विसेज को मात दी थी। 2016 में दीपक शोधन के 87 की उम्र में निधन के बाद दत्ताजीराव गायकवाड़ देश के सबसे उम्रदराज जीवित टेस्ट क्रिकेटर बने।
भारत के सबसे उम्रदराज जीवित क्रिकेटर चिंग्लेट गोपीनाथ बने। चेन्नई के गोपीनाथ की उम्र 93 साल है। गायकवाड़ ने बड़ौदा के अपने निवास स्थान पर अंतिम सांस ली। गायकवाड़ ने बॉम्बे यूनिवर्सिटी के लिए शुरुआती में क्रिकेट खेली और फिर वो बड़ौदा के महराजा सयाजी यूनिवर्सिटी में खेलने लगे।