शारीरिक संबंध के दौरान ये गलतियां बना सकती हैं STI का शिकार, जानें इसके बचाव के तरीके

एसटीआई एक ऐसी कंडिशन है, जो शारीरिक संबंध बनाने की वजह से होता है। यह गंभीर समस्या किसी भी लिंग और आयु के व्यक्ति के हो सकती है। दुनियाभर में लाखों लोग, इस समस्या से पीड़ित है। हाल ही में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन की एक रिपोर्ट से यह पता चला है कि अमेरिका में Syphilis, जो एक प्रकार का STI है, के मामले काफी बढ़ गए हैं। 1950 के बाद इसके मामलों में इतनी बढ़ोतरी पहली बार देखी जा रही है।

STI के ऐसे कई प्रकार हैं, जो काफी लंबे समय तक परेशानी की वजह बन सकते हैं। ये इंफेक्शन किसी भी प्रकार के शारीरिक संबंध, जैसे- वेजाइनल, एनल या ओरल, के जरिए फैल सकते हैं। अगर इनका वक्त रहते पता लगाकर इलाज न करवाया जाए, तो ये गंभीर बीमारी का रूप लेकर, जानलेवा भी साबित हो सकते हैं। इसलिए STI के बारे में लोगों को जागरूक होना काफी जरूरी है और इसके लक्षणों, इलाज और बचाव के तरीकों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी होना आवश्यक है।

इसके बारे में अधिक जानकारी पाने के लिए हमने हेल्थ एक्सपर्ट्स, सी के बिरला अस्पताल, दिल्ली, की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की लीड कंसलटेंट, डॉ. मंजूषा गोयल और फॉर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम, की कंसलटेंट, डॉ. नेहा रस्तोगी पंडा से बात की। आइए जानते हैं, एसटीआई के बारे में इन हेल्थ एक्सपर्ट्स का क्या कहना है।

क्या हैं इसके लक्षण?
STI के लक्षणों के बारे में बात करते हुए, एक्सपर्ट्स ने बताया कि हर यौन संक्रमण के अपने अलग लक्षण होते है, जो ज्यादातक इंफ्केशन के प्रकार पर निर्भर करता है। हालांकि, कुछ ऐसे लक्षण होते हैं, जो लगभग हर STI में देखने को मिल जाते हैं। उन सामान्य लक्षणों में जेनिटल रीजन में घाव या अल्सर, वेजाइना या पीनिस से असामान्य डिसचार्ज होना, यूरिनेट करते समय दर्द होना, पेशाब में जलन, खुजली, जेनिटल पार्ट में खुजली या इरिटेशन, बुखार, थकान जैसे लक्षण शामिल हैं। हालांकि, कुछ एसटीआई ऐसे भी होते हैं, जिनके लक्षण नजर नहीं आते हैं, इसलिए नियमित जांच की मदद से ही, उनका पता लगाया जा सकता है।

इनसे बचाव कैसे कर सकते हैं?
सुरक्षित शारीरिक संबंध- STI संभोग के दौरान फैलता है। इसलिए शारीरिक संबंध बनाते समय, हमेशा कंडोम का इस्तेमाल करें। किसी भी प्रकार के शारीरिक संबंध, जैसे-ओरल, एनल या वेजाइनल हमेशा कंडोम का इस्तेमाल करें। साथ ही, एक से अधिक पार्टनर के साथ यौन गतिविधियों में शामिल न हो। इसलिए एक समय पर एक से अधिक पार्टनर्स के साथ फिजिकली इंवॉल्व होना एसटीआई का जोखिम बढ़ा सकता है।

खुलकर बात-चीत करें- अपने पार्टनर के साथ एसटीआई के बारे में बेझिझक बात-चीत करें। पहले कभी एसटीआई हुआ है या नहीं, आखिरी बार टेस्ट कब करवाया था, कौन-सी वैक्सीन्स ली हैं। ऐसी कई बातों के बारे में एक-दूसरे के साथ जानकारी साझा करें।

वैक्सीन लें- कई एसटीआई से बचाव के लिए वैक्सीन ली जा सकती है, जैसे- HPV और हेपिटाइटिस -बी। इनकी वैक्सीन की मदद से इनसे संक्रमित होने के खतरे को टाला जा सकता है।

लक्षणों पर ध्यान दें- एसटीआई के सामान्य लक्षणों पर ध्यान देना काफी आवश्यक है। इसका कोई भी लक्षण खुद में या अपने पार्टनर में नजर आए, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

नियमित चेकअप- कुछ STI के लक्षण नजर नहीं आते, इसलिए नियमित चेकअप की मदद से इसका जल्दी पता लगाने में मदद मिलती है, जिससे इसके इलाज में काफी आसानी हो जाती है। खासकर, वे लोगों जिनके एक से अधिक पार्टनर हैं, नियमित तौर पर अपना चेकअप जरूर कराएं।

इसका इलाज क्या है?
STI के इलाज के लिए एंटी-बायोटिक्स और एंटी-वायरल दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है। सिफिलिस, क्लैमाइडिया और गोनोरिया के इलाज के लिए एंटी-बायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, एचआईवी, हर्पीस जैसे एसटीआई के लिए एंटी-वायरल दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, ये इनका इलाज नहीं कर पाते हैं, लेकिन इन वायरल इन्फेक्शन के लक्षणों को कम करने और संक्रमण को कम करने में मदद जरूर मिल सकती है।

एसटीआई को दोबारा होने से रोकने के लिए और पूरी तरह से ठीक करने के लिए कई बार काफी लंबे समय तक इलाज करवाना पड़ सकता है। इसलिए नियमित रूप से अपने डॉक्टर से फॉलो-अप लेना जरूर है। इससे किसी भी संभावित खतरे को कम करने में भी मदद मिलती है।

अगर आपको एसटीआई हुआ है, तो संभव है कि आपके पार्टनर भी इससे संक्रमित हो। इसलिए अपने पार्टनर को इस बारे में जरूर बताएं और उन्हें भी इसके टेस्ट करवाने के लिए कहें।

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