हाईकोर्ट ने टाला सरकार का फैसला, जाने पूरा मामला

2023 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में इस बात को साफ किया था कि डोनर्स के एग्स और स्पर्म को सरोगेसी (किराए की कोख) के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. ऐसा सरकार ने इसलिए कहा था क्योंकि उनके अनुसार इस तरह के बच्चों का माता-पिता से और माता-पिता से बच्चों का ‘मजबूत भावनात्मक बंधन नहीं स्थापित हो पाता है. पर इस नियम के खिलाफ जाकर बॉम्बे हाईकोर्ट (High Court allow surrogacy) ने दो कपल को सरोगेसी की इजाजत दे दी है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार को केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि डोनर एग और स्पर्म का सरोगेसी के लिए इस्तेमाल पर प्रतिबंध वाला कानून इस कपल पर लागू नहीं होता है. जस्टिस गिरीश कुलकर्णी की पीठ ने मुंबई और नवी मुंबई के इस दंपत्ति को इसकी इजाजत दे दी. कपल्स ने 2023 की शुरुआत में इसके लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी.

लंबे वक्त से संतानहीन था कपल
एक ओर मुंबई वाले कपल को कई बार मिसकैरिज झेलना पड़ा था, दूसरी ओर नवी मुंबई वाले कपल की शादी को 10 साल हो गए थे, पर वो संतानहीन थे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने याचिका को रद्द करने की मांग की थी, पर कपल के वकील ने अनुरोध किया कि उनके मामले में पूर्ण रूप से बैन लगाना ठीक नहीं है. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद इन दोनों कपल को इजाजत दी कि वो डोनर एग्स ले सकते हैं, क्योंकि उनकी स्थित अलग है.

वकील ने कहा- ब्लैंकेट बैन लगाना ठीक नहीं
कपल के वकील तेजेश दांडे ने कहा कि इस नियम में पूरी तरह बैन लगाना ठीक नहीं है क्योंकि कपल के मेडिकल कंडीशन कई बार ऐसे नहीं होते कि वो अपने ही सेल पर निर्भर रहें, उन्हें डोनर की जरूरत पड़ सकती है. दोनों में से एक महिला को इस वजह से डोनर की जरूरत है, क्योंकि उसे एक दुर्लभ जेनेटिक कंडीशन है.

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