अमृत उद्यान घूमने के साथ-साथ जान लें कब और किसने की थी इसकी शुरुआत

राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित अमृत उद्यान को घूमते हुए एक अलग ही दुनिया में होने का एहसास होता है। कुछ ऐसी है यहां की खूबसूरती। रंग-बिरंगे फूलों को देखने भर से ही मन खुश हो जाता है और दिमाग तरोताजा। अमृत उद्यान जिसे पहले मुगल गार्डन के नाम से जाना जाता था, यहां आकर आप गुलाब, ट्यूलिप्स की कई वैराइटी देख सकते हैं, उन्हें अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं। कल यानी 2 फरवरी से ये आम लोगों के लिए खुल रहा है, तो अगर आप यहां जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो यहां के इतिहास के बारे में भी जान लेना जरूरी है।

क्या है अमृत उद्यान का इतिहास?
साल 1911 में अंग्रेजों ने कलकत्ता से बदलकर अपनी राजधानी दिल्ली शिफ्ट दी थी। वायसरॉय के रहने के लिए दिल्ली में रायसीना की पहाड़ियों को काटकर वायसराय हाउस बनाया गया था। जो वर्तमान में राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है। वायसराय हाउस में साल 1917 में सर लुटियंस ने अमृत उद्यान का डिजाइन तैयार किया था और साल 1928-29 में यहां बागवानी का काम शुरू किया गया था।

मुगल गार्डन नाम कैसे पड़ा?
मुगलों के शासनकाल में भारत में कई बाग-बगीचों का निर्माण करवाया गया था। सर एडवर्ड लुटियंस ने इस गार्डन को ऐसे निर्मित करवाया जिसमें ब्रिटिश और इस्लामी दोनों विरासत की झलक देखने को मिले। इसका डिजाइन ताजमहल के बगीचों, जम्मू-कश्मीर के बगीचों के साथ-साथ भारत व फारस के बाग-बगीचों से प्रेरित था। जिस वजह से तैयार होने के बाद इसका नाम मुगल गार्डन रखा गया।

अलग-अलग प्रजाति के फूल
अमृत उद्यान में कई तरह के फूल देखने को मिलते हैं। यहां गुलाब के ही तकरीबन 138 प्रजातियां मौजूद हैं। इसके अलावा लगभग 10,000 से ज्यादा ट्यूलिप और 70 से ज्यादा सीजनल फूल हैं। अमृत उद्यान का दीदार करने भारत ही नहीं, देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। यह उद्यान इतना ज्यादा खूबसूरत है कि सर लुटियंस की पत्नी ने इस गार्डन को ‘स्वर्ग’ बताया था।

राष्ट्रपति भवन में स्थित अमृत उद्यान 2 फरवरी से आम लोगों के लिए खुल रहा है। जो 31 मार्च तक खुला रहेगा। अमृत उद्यान घूमने के लिए आपको पहले से टिकट बुक करानी होती है, जो बिल्कुल फ्री होता है।

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