आईआईटी कानपुर में पीजी छात्रों के लिए नो टर्मिनेशन पॉलिसी

पढ़ाई का तनाव कम करने और एक माह में तीन आत्महत्याओं को देखते हुए आईआईटी कानपुर में अब पीजी छात्रों के लिए नो टर्मिनेशन पॉलिसी लागू होगी। मतलब फेल होने पर भी छात्रों को टर्मिनेट (निष्कासित) नहीं किया जाएगा। इस व्यवस्था पर सैद्धांतिक रूप से सहमति बन गई है, बस अंतिम मुहर लगना बाकी है।

अभी यह सुविधा यूजी छात्रों को मिलती है। संस्थान में लगातार आत्महत्याओं से आईआईटी प्रशासन चिंतित है। एक महीने के भीतर प्रजेक्ट ऑफिसर पल्लवी चिलका, एमटेक छात्र विकास मीना और पीएचडी छात्रा प्रियंका जायसवाल ने फंदे से लटककर जान दे दी थी। इसके बाद से छात्रों में शिक्षण व्यवस्था को लेकर आक्रोश था।

प्रदर्शन कर छात्रों ने टर्मिनेशन को तनाव का बड़ा कारण बताया था। कई छात्रों ने टर्मिनेशन पॉलिसी खत्म करने की मांग भी की थी। घटनाओं के बाद संस्थान ने भी अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों में बदलाव का मन बनाया था। इसी क्रम में संस्थान में अब पीजी छात्रों के लिए भी नो टर्मिनेशन पॉलिसी लागू की जाएगी।

सीपीआई रिकॉर्ड के आधार पर टर्मिनेट नहीं किया जाएगा
डीन एकेडमिक्स प्रो. शलभ का कहना है कि सैद्धांतिक रूप से स्नातकोत्तर स्तर पर नो-टर्मिनेशन नीति का लाभ बढ़ाने पर सहमति बनी है। इसका मतलब है कि किसी छात्र को सीपीआई रिकॉर्ड के आधार पर टर्मिनेट नहीं किया जाएगा। तैयारी पूरी कर ली गई है, बस अंतिम मुहर लगनी बाकी है।

पाठ्यक्रम को और लचीला बनाने की तैयारी
प्रो. शलभ ने बताया कि पीएचडी छात्रों के भी शैक्षणिक कार्यभार को कम करने का निर्णय लिया गया है। उनके छह पाठ्यक्रम को घटाकर चार कर दिया गया है। पाठ्यक्रम को और लचीला बनाने की तैयारी है। संस्थान छात्रों पर अपना शैक्षणिक कार्य पूरा करने के लिए कोई दबाव नहीं डालेगा।

छात्र कई बार कर सकते हैं अपील
पीजी छात्रों की परफार्मेंस को आंकने की संस्थान की अपनी प्रक्रिया है। निर्धारित मानकों के अनुसार अंक न आने पर छात्र को टर्मिनेट किया जाता है। लेकिन छात्र के पास मौका होता है कि टर्मिनेशन पर अपील कर सके। अपील के बाद छात्र को अपने नंबरों को सुधारने का मौका मिलता है।

छात्र के पास कई मौके होते हैं
दोबारा मानकों पर खरे न उतरने पर छात्र फिर अपील कर सकते हैं। अपील करने के लिए छात्र के पास कई मौके होते हैं। संस्थान छात्र की बेहतर परफार्मेंस देखने के बाद छात्र को पास करता है। इसके चलते छात्रों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं आता है।

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