क्या होता है इलेक्ट्रॉनिक कचरा, कैसे कर रहा है ये हमें प्रभावित

हमारे जीवन में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की भूमिका तेजी से बढ़ रही है और ऐसे में जहां इसके तमाम फायदे हम ले रहे हैं, तो इसके कई नुकसान भी हैं। जब भी हमें कोई नया स्मार्टफोन, लैपटॉप या फिर कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट खरीदना होता है, तो हम खरीद लेते हैं और जब प्रोडक्ट हमारे काम का नहीं रहता है तो उसे किनारे कर देते हैं।

लेकिन ऐसा करने के कई सारे नुकसान होते हैं। आज के इस लेख में E-Waste के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं कि आखिर यह क्या होता है और हम किस तरह इससे प्रभावित हो रहे हैं।

क्या होता है E-Waste

ई-वेस्ट को इलेक्ट्रॉनिक कचरा भी कहते हैं। आसान शब्दों में कहें तो इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से फैलने वाला कचरा होता है। यानी जिस सामान को इस्तेमाल करने के बाद हम कबाड़ के रूप में फेंक देते हैं। वही ई-वेस्ट बन जाता है और इसका सही इस्तेमाल अगर नहीं किया जाता है तो ये पर्यावरण को कई मायनों में प्रभावित करता है।

नई तकनीक है बड़ी प्रॉब्लम

बीते कुछ सालों में इलेक्ट्रॉनिक कचरा काफी तेजी से बढ़ा है। इसका कारण है हमारी लाइफ में तेजी से तकनीक का विस्तार होना। क्योंकि दिन-ब-दिन तकनीकें आ रही हैं और जैसे ही कोई तकनीक आती है, तो ज्यादातर लोग पुरानी तकनीक के साथ आने वाले गैजेट्स को किनारे कर देते हैं। जो कुछ समय बाद ई-कचरा में परिवर्तित हो जाता है।

ऐसे कम कर सकते हैं ई-वेस्ट

ई-वेस्ट की मात्रा तेजी से बढ़ रही है और आने वाले सालों में इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो भविष्य में ये एक बड़ी समस्या बनकर हमारे सामने खड़ी होगी। ऐसे में अगर आप छोटी-छोटी पहल करते हैं तो इस पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती है।

  • कम से कम नए इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट की खरीददारी करें।
  • कोशिश करें नया खरीदने से पहले पुराना ही रिपेयर करा लिया जाए।
  • गैरजरूरी इलेक्ट्रॉनिक सामान न खरीदें।
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