बचपन से इस बीमारी से जूझ रहे हैं सनी देओल…
साल 2023 देओल फैमिली के लिए बहुत ही लकी साबित रहा है। इस साल धर्मेंद्र, सनी देओल और बॉबी देओल की फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई और तीनों की ही मूवी ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया। सनी देओल लंबे समय के बाद ‘गदर 2’ में नजर आए। अब उन्होंने एक इंटरव्यू में डिस्लेक्सिया से अपनी लड़ाई के बारे में खुलासा किया।
इंटरव्यू में सनी देओल ने अपने पिता धर्मेंद्र और अपनी डिस्लेक्सिक की समस्या को लेकर खुलकर बात की है। अभिनेता ने बताया कि वह बचपन में डिस्लेक्सिक थे और इसलिए उन्हें फिल्म सेट पर अपनी लाइनें याद करने में दिक्कत होती है।
पिता धर्मेंद्र को लेकर क्या बोले सनी
बॉम्बे टाइम्स के साथ बातचीत में, सनी देओल से जब पूछा गया कि अपने पिता को इस उम्र में सेट पर काम करते हुए देखना कैसा लगता है और क्या इससे उन्हें चिंता होती है। इस पर गदर अभिनेता ने कहा कि ‘कोई हमेशा चिंतित रहता है, ऐसा लगता है कि वह हमारे बारे में चिंतित है और हमें उनकी चिंता रहती है। जब भी वह शूटिंग कर रहे होते हैं, तो मैं सेट पर यह देखने जाता हूं कि वह ठीक हैं या नहीं। बेटा बाप के बारे में सोचता है, बाप बेटे के बारे में। मैं ऐसा कह सकता हूं क्योंकि मेरे बेटे (करण और राजवीर) हैं, इसलिए मुझे पता है कि कैसा महसूस होता है’।
किरदार पर नहीं करते शोध
सनी देओल ने बताया कि वह अपने किरदार को निभाने से पहले कोई रिसर्च नहीं करते हैं। उन्होंने धर्मेंद्र का उदाहरण देते हुए कहा कि मेरे पिता एक के बाद एक फिल्में करते थे। वे दो से तीन शिफ्ट में काम करते थे। ऐसा करके भी उन्होंने अपने किरदारों को खूबसूरती से निभाया। आज के समय में कोई ऐसा करके देखे। आज के एक्टर नहीं कर सकते, क्योंकि वे अपना किरदार निभाने से पहले शोध करते हैं। मुझे ये सब करना बकवास लगता है, क्योंकि ऐसा करने से समय की बर्बादी होती है’।
डिस्लेक्सिक पर बोले सनी
फिल्मों में अपने किरदार के बारे में बात करते हुए एक्टर ने कहा कि आप एक बायोग्राफिकल करैक्टर निभा रहे हैं, तो यह अलग है, लेकिन फिर भी बॉर्डर जैसी फिल्म में, मैंने ब्रिगेडियर कुलदीप की भूमिका निभाई। सिंह चांदपुरी, मैंने उनकी नकल नहीं की। मैंने किरदार की आत्मा को समझ लिया और इसे अपने तरीके से किया। ऐसा नहीं है कि मैंने इसके लिए शोध किया कि वो कैसे चलता था, क्या करता था। जब मैं कोई फिल्म कर रहा होता हूं, तो मेरे पास डायलॉग भी नहीं होते’।
यह दूसरी बात है कि मैं डिस्लेक्सिक हूं, इसलिए ठीक से पढ़-लिख नहीं पाता और बचपन से ही यही मेरी समस्या रही है। पहले, हमें नहीं पता था कि यह क्या है और लोग सोचते थे… क्या ये डफर आदमी है। मुझे हमेशा अपने संवाद हिंदी में मिलते हैं और मैं इसे पढ़ने में अपना समय लेता हूं। मैंने उन्हें कई बार पढ़ा और उन्हें अपना बना लिया’।