इस खास स्तुति के साथ करें बप्पा की आरती, बन जाएंगे सभी बिगड़े काम

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा का विधान है। इस दिन लोग व्रत रखकर गणेश जी से अपने सुखमय जीवन की प्रार्थना करते हैं। इस शुभ दिन पर बप्पा की पूजा भक्ति भाव से करनी चाहिए साथ ही उनकी स्तुति और आरती के साथ पूजा का समापन समर्पण के साथ करना चाहिए। ऐसा करने से गणपति जी की पूरी कृपा प्राप्त होती है।
सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी बहुत ही शुभ मानी गई है। यह प्रति माह दो बार आती है, एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है, जब साधक प्रार्थना करते हैं और उपवास रखकर बप्पा से अपने सुखमय जीवन की प्रार्थना करते हैं।
इस विशेष दिन पर गणेश जी की पूजा श्रद्धा पूर्वक करनी चाहिए, साथ ही उनकी स्तुति और आरती के साथ पूजा का समापन समर्पण के साथ करना चाहिए। ऐसा करने से गणपति जी की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।
गणपति स्तुति
गाइये गणपति जगवंदन ।
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥
सिद्धि सदन गजवदन विनायक ।
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक ॥
गाइये गणपति जगवंदन ।
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥
मोदक प्रिय मुद मंगल दाता ।
विद्या बारिधि बुद्धि विधाता ॥
गाइये गणपति जगवंदन ।
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥
मांगत तुलसीदास कर जोरे ।
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥
गाइये गणपति जगवंदन ।
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥
”गणेश जी की आरती”
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥